एक महिला ट्रैन के 3rd AC में सफर कर रही थी,उनके पास 1 ही टिकट था मगर उनके साथ 2 और व्यक्ति था T.T आया और उनसे कहा तुमलोग फिर आ गए मना किया था..इस पर महिला ने कहा खाना खाने आया है,TT ने कहा मैं सबकुछ जानता हूँ उनदोनों में बहस होने लगा..
इन परिस्थितियों में TT सही था और वो महिला गलत.. क्योंकि महिला उनसे गलत बहसबाजी कर रही थी..।
इस परिदृश्य को देखकर कोई भी, उस महिला को गलत ही कहेगा..
उस महिला का सीट RAC था जिस पर वो, और एक व्यक्ति एक बच्चे के साथ था रात मे वो बच्चा रातभर पाँव भांजता है जिसके कारण उसे कभी-कभी चोट भी लगता है..
मगर वो एकबार भी उसे बच्चे को भला-बुरा नही कहती..
ये परिस्थिति उसे अच्छा बनाता है..।।
इस वाकया से यही पता चलता है की..
कोई भी व्यक्ति न ही बुरा और न ही अच्छा होता है..
बल्कि परिस्थितियां उसे अच्छा और बुरा बनाता है..।।
जो लोग परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठा लेते है..
वो अक्सरहाँ औरों के नजर में अच्छे दिखते है,
जो सामंजस्य नही बिठा पाते वो लोगों के नजर में बुरा बन जाते है..
ये सिर्फ उनकी गलती नही बल्कि उनकी परवरिश,शिक्षा और समाज भी इसके लिए जिम्मेदार है..।।
इसीलिए कोई इंसान बुरा नही होता बल्कि परिस्थितियां किसी को अच्छा या बुरा बनाता है..।।
इसीलिए हमें कोई अधिकार नही किसी को बुरा कहने का..
शायद आप जिसे बुरा कह रहे है उसके साथ कुछ समय गुजारने के बाद आपका नजरिया बदल जाये...।।
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