जब भी खुद को आयने में देखता हूँ तो मुस्कुराता हूं,
जब भी पंछियो को पंख फैला कर उड़ते देखता हूँ तो मुस्कुराता हूँ..
जब भी सूर्य की लालिमा को देखता हूँ तो मुस्कुराता हूँ..
जब भी प्रकृति की लीला देखता हूँ तो मुस्कुराता हूँ
मैंने मुस्कुराना सीख लिया है..।।
अब मैं दुःखी नही होता..
क्योंकि दुःख तो जीवन का हिस्सा है..
इसे आने से कोई नही रोक सकता..
मगर ये मेरे ऊपर कितने समय तक हावी रहे,
इसका निर्णय मेरे हाथ मैं है..
इसीलिए मैं अब इसे ज्यादा देर तक अपने ऊपर हावी नही होने देता..
मैंने मुस्कुराना सीख लिया है..।।
हमारी मुस्कान सबसे बड़ा गहना है,
जो प्रकृति से उपहार मैं मिला है..
हम जब भी मुस्कुराते है..
प्रकृति भी मुस्कुराती है..।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें