और हमें पता नही चलता..
कभी सोचा है इसके बारे में..
उस और हमारा कभी ध्यान ही नही जाता..
हमें लगता है,
हमें खुद ही अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी होती है..
मगर ऐसा नही है..
कुछ लोग और भी होते है,जो आपके हिस्से की लड़ाई लड़ रहे होते है..
या तो वो कभी दिखते है,या फिर नही दिखते..
या फिर हमें ताउम्र समझ मे ही नही आता..
और हम गलतफहमी पाल लाते है कि ये सब कुछ हमने ही किया है..।।
इसीलिये जब सफल हो..
तो अपने अंदर कृतिज्ञता का भाव जरूर रखें..
अगर हो सकें तो किसी जरूरतमंद के हवनकुंड(जीवन) मे अक्षत की आहुति कम-से-कम जरूर दे..
मगर अफसोस ये शौभाग्य सब को नही मिलता..
कुछ को अगर मिलता भी है तो वो उसका सदुपयोग नही कर पाते..
और कुछ लोग नए कीर्तिमान रच देते है..।।
कंहा से शुरुआत करू...
चलिए शुरू से ही शुरुआत करते है...
●अगर हमारे पूर्वज खड़े होने के लिए असहनीय पीड़ा नही सहे होते तो शायद आज हम मानव समुदाय पे कोई और राज
करता..जरा कल्पना कीजिये..
●अगर हड़प्पा काल में हमारे पूर्वज उतना उन्नतशील नही होते तो आज हमें ये गुमान नही होता कि ये सबसे उन्नत और सबसे बड़ी सभ्यता थी..
●अगर वैदिक काल मे हमारे ऋषियो ने वेद की ऋचा नही रची होती..तो आज हम गुमान नही करते..
● अगर महाजनपद काल मे बिम्बिसार,घनानंद,अशोक,नही होता तो दुनिया का सबसे बड़ा मगध साम्राज्य नही बनता..
●अगर गुप्त काल उन्नतशील नही होता तो विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी नालंदा नही होती..और वराहमिहिर, आर्यभट, कालिदास, धन्वंतरि इत्यादि जैसे विद्वान नही होते..।
●अगर हमारे पूर्वज एकजुट हुए होते तो मध्यकाल में मुस्लिम आक्रांता हमपे राज नही करते..अगर वो दक्षिण भारत विजय कर लेते तो..तो स्थापत्यकला की ऊंचाइयों को छूने वाला मंदिर ना होता
●अगर मुगलकाल सुदृढ़ नही होता तो कुछ ऐतिहासिक इमारत का निर्माण नही होता,अगर वो कमजोर ना होते तो अंग्रेज हमपे राज ना करते..
●अगर हमारे क्रांतिकारी नेता अपना बलिदान नही देते तो आजादी की आवाज घर-घर मे बुलंद नही होता..अगर गांधी,नेहरू,बोस,पटेल,अंबेडकर, आजाद,भगत, बिस्मिल्लाह कितनों का नाम लू अगर ये ना होते तो भारत शायद ऐसा न होता..
●अगर आज हम यंहा है..और मनुष्य या भारतीय होने पे नाज कर रहे है..
तो इसके पीछे लंबा संघर्ष चला है और ये चल रहा है...
●हम अभी जिस अवस्था मे है इसके पीछे भी लंबा संघर्ष चला है...
हम कल्पना भी नही कर सकते..
हमारे एकल सेल(स्पर्म) को करोड़ों सेल से संघर्ष करके
अंडाशय तक कि यात्रा करनी पड़ी है..
फिर 9 महीने तक हमारी माँ को संघर्ष करना पड़ा है..
फिर जन्म लेते ही..आपके साथ-साथ कइयों का संघर्ष चालू हो गया है..
और ये संघर्ष अभी भी चालू है..और अनवरत चालू रहेगा..
इसीलिए जब भी आप जीवन मे संघर्ष कर रहे हो..
तो जान लीजिए कुछ और लोग भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आपके साथ संघर्ष कर रहे है..और आपको भी बेहतर दुनिया के लिए संघर्ष करना है..
इसीलिए उदास मत होइए..
बल्कि अपने संघर्ष को अपना कवच बना कर सफलता का पताका फहराइये..।।
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