बिहार की धरती बांझ हो चुकी है.. फिर से एक हलधर की जरूरत है ..
जो पूरे बिहार को अच्छी तरह से कुरेदकर..
इसके बांझपन को नाश करें..
फिर से एक चाणक्य की जरूरत है..
जो बिहार की जड़ता खत्म कर..
एक नया कीर्तिमान रचें..
फिर से एक शेरशाह की जरूरत है..
फिर से एक जयप्रकाश नारायण की जरूरत है..
जो पूरे देश के युवाओं के जड़ता को तोड़कर
एक आंदोलन खड़ा कर..
सक्ता पे आसीन जर हो चुके नेताओं को उखाड़ के फेंके..
बिहार की धरती बांझ हो चुकी है..
फिर से एक हलधर की जरूरत है..
जो इसके बांझपन को मिटाये...
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