मन करता है घर को जाऊ..
मगर घर के दरवाजे भी बंद है..।
15 दिन होने को है..शरीर मानो जबाब दे रहा है..
आज बहुत मन हुआ घर चला जाऊं..
मगर घर पर जाकर माँ के ऊपर बोझ नही बनना चाहता..।।
माँ का कॉल का इंतजार कई दिनों से कर रहा हूँ..
मगर अब माँ का भी फोन नही आ रहा है..।।
अब शरीर साथ नही दे रहा है..
सोचा थोड़ा दिन घर पे बिताऊँ..
असफलता का बोझ अब सहन नही हो रहा है..
जिंदगी में,आगे का राह कुछ दिख नही रहा है..।
कहने वाले कह रहे है कि कोई नॉकरी कर लो..
किस मुँह से कहु..
इस 21 वी सदी में हम जैसे डिग्रीधारियों के लिए कोई ढंग का जॉब नही..।।
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