बुधवार, 31 जनवरी 2024

हमारे पास हमेशा एक मौका होता है.

वो भी मुझसे आगे निकल चुके है..

जिन्हें कभी मुझ तक आने को सोचना पड़ता था..

मैं ठहरा ही रह गया

और जो मुझसे मिलों पीछे थे,

आगे निकल गए..।


हमारे पास हमेशा एक मौका होता है,

एक लंबी छलांग लगाने को..

और उन सबसे आगे निकलने को

जिस-जिस से आप पिछड़ चुके है..।





आपकी लंबी छलांग सिर्फ आपके लिए ही नही

दूसरों के लिए भी नजीर साबित होगी..

अगर अभी नही,तो फिर कभी नही..।


हनुमान सा सामर्थ्य हम सब में है..

बस जरूरत है..

उस सामर्थ्य को जानने का..

यही समय है,सही समय है..

उस सामर्थ्य को जानने का..।।


हमारे पास हमेशा एक मौका होता है,

एक लंबी छलांग लगाने को..।।


स्वयं को तुम संवार लो..

मैं हार जाता हूँ बार-बार..
क्योंकि मैं जीत के लिए प्रयास ही नही करता..
बार-बार..
इसिलिय ही, मैं हार जाता हूँ बार-बार..।।

कोई नही है यंहा..
इस भवर से निकालने को..
स्वयं के सिवा..
क्योंकि...
वो स्व ही है,जो शिव है..
वो शिव ही है,जो स्व है..।
उस स्व को तुम पहचान लो..
और इस भवर से, 
स्वयं को तुम निकाल लो..।।




तुम इस ब्रह्मांड में..
कंही और किसी और स्वरूप में तो हो सकते थे..
तुम यंही,इस स्वरूप में क्यों हो..??
इसका कोई जबाब नही..।
मगर तुम वर्तमान परिस्थिति में क्यों हो..
इसका जबाब तुम स्वयं हो..।

स्वयं को तुम संवार लो..
स्वयं को तुम निखार लो,
क्या पता फिर कभी अवसर मिले या ना मिले..
क्योंकि हर रात के बाद सुबह तो होती है..
मगर हरेक सुबह एक जैसी नही होती..।

स्वयं को तुम संवार लो..
स्वयं को तुम निखार लो..।।





मंगलवार, 30 जनवरी 2024

गांधी आज भी प्रासंगिक क्यों है..??

क्या आपको पता है..
भारत मे सर्वाधिक गाली मरने के बाद भी किसे दिया जाता है..
गाँधीजी को..
क्यों..??
क्योंकि वे लोग.. आज भी गुलाम है..
आज भी वो मानसिक रूप से गुलाम है..
वो दूसरों के विचार से प्रभावित होकर गांधी को गाली देते है. क्योंकि उनकी खुद की सोचने और समझने की शक्ति नही है..।।

गांधी को गाली और आलोचना करने का आपको तब अधिकार है जब आप गांधी के बारे में जानते हों..
मगर अफसोस भारत मे एक बहुत बड़ा तबका गांधी को इस रूप में जानता है कि..
- उन्ही के कारण भगत सिंह को फांसी हुई..
- भारत का विभाजन भी उन्ही के कारण हुआ..

अगर आप भगत सिंह की "मैं नास्तिक क्यों है" पढ़ लेते है तो आप गाँधीजी को भगत सिंह की फांसी के लिए कभी कसूरवार नही मानेंगे...।

गांधी ही वो सख्श थे जो अंत तक भारत विभाजन का विरोध करते रहें.. अंत मे सरदार वल्लभभाई पटेल ने उन्हें समझाया और कहा बापू अगर हाथ मे घाव हो जाये और उसके कारण सारा शरीर प्रभावित हो तो हाथ काट देना ही बेहतर है..
- भारत के विभाजन के कई कारण थे,इनमें से सर्वाधिक अमेरिका और ब्रिटेन की कूटनीति थी,क्योंकि भारत का झुकाव शुरू से ही रूस के तरफ था..तो रूस को काउंटर करने के लिए एक देश तो चाहिए..जो पाकिस्तान बना..।।

महात्मा गांधी की आज 76वी पुण्यतिथि है..


आज ही के दिन नाथूराम गोडसे ने गांधीजी का निरशंस हत्या कर दिया..
क्यों..??
उसे लगा कि उनके कारण ही देश का विभाजन हुआ..
काश वो गांधी की जगह जिन्ना को मारता तो उसका भी पुतला किसी चौराहे पे होता..।।

गाँधीजी ने एकबार कहा था-
" गांधी मर सकता है,मगर उसका विचार नही "
   उन्होंने सही ही कहा था..।।

आज अनेक देश हिंसा की आग में सुलझ रहे है और उसका एक ही समाधान है... अहिंसा
क्योंकि अगर आप हिंसात्मक तरीके से अगर जीत भी जाते है तो भी ये संभावना बनी ही रहेगी कि अगर दूसरा पक्ष भविष्य में मजबूत हुआ तो फिर हिंसा करेगा..
              "अहिँसा ही सबसे बड़ा बल है" - गांधी

सर्वधर्म समभाव :- आज धर्म के नाम पर उन्माद फैल रहा है ...क्यों..??
क्योंकि हरेक कोई ये साबित करने में लगा है कि मेरा धर्म/पंथ सर्वश्रेष्ठ है..
  "सभी धर्म सत्य की खोज की विभिन्न मार्ग है"- गांधी

सादा जीवन :- आज हरेक 10 में से 8 लोग बीमार है क्यों..?
 क्योंकि हम क्या खाएंगे,क्या पियेंगे,क्या पहनेंगे,क्या देखेंगे,क्या खरीदेंगे ये सब हम नही बल्कि बाजार तय कर रहा है..
               "सादगी ही सुंदरता है" -गांधी

स्व-निर्भरता:- हमारे प्रधानमंत्री आज आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे है,और गांधी ने इस बात को आज से 100 साल पहले ही समझ लिया था..
उन्होंने कहा था - "स्वनिर्भरता ही स्वाधीनता की कुंजी है"

रोजगारपरक शिक्षा :- हमारी नई शिक्षा नीति में इसे अभी शामिल किया जा रहा है,गांधी उस समय रोजगारपरक शिक्षा की वकालत कर रहे थे..
           "आधुनिक शिक्षा हमें गुलाम बनाती है"

कुटीर उद्योग :- जिसे आज हम MSMEs सेक्टर कहते है,गांधी ने कुटीर उद्योग पे जोर दिया और कहा बेरोजगारी की समस्या इसी से ही दूर होगी.. 
उन्होंने कहा कि कुछ चीजों का उत्पादन का अधिकार सिर्फ इसे ही दिया जाए..।
वर्तमान में MSMEs सेक्टर की हालात खराब है क्योंकि छोटी छोटी चीजो का उत्पादन भी बड़ी कंपनियां कर रही है..।।

महिला शाक्तिकरण :- हम आज लोकसभा/विधानसभा में आरक्षण के लिए विधयेक पारित किये है..
गांधी जी उस समय से ही महिलाओं की शसक्तीकरण की बात कर रहे थे जब महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी बुरा माना जाता था..
आज हमारी नारी शक्ति जो राजनीति में परचम लहरा रही है उसका बीज गांधी ने अपने आंदोलन में ही बो दिए थे..।।
  " बिना नारी के सशक्तिकरण के बिना,कोई भी राष्ट्र प्रगति नही कर सकता" - गांधी

सतत विकास : आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के चपेट में है,क्यों..?? 
क्योंकि हमने प्राकृतिक संसाधनों का आंख बंद करके दोहन करना शुरू कर दिया है..
गाँधीजी ने कहा था- 
"प्रकृति हमारी आवश्यकता को पूरी कर सकता है,
 मगर हमारी लालच को नही"

आज पूरा विश्व जिन-जिन समस्याओं से जूझ रहा है,हरेक का समाधान गांधी ने पहले ही बतला दिया था..
गाँधीजी ने सही ही कहा था- गांधी मर सकता है,मगर उसका विचार नही..

शायद इसीलिए गांधी आज भी प्रासंगिक है..
आज जरूरत है कि हम गांधी को सिर्फ पढ़े ही नही,उसे जीने की कोशिश करें तब ही शायद एक बेहतर देश और विश्व का निर्माण हो सकता है..


 


सोमवार, 29 जनवरी 2024

प्रतिक्रिया देने से बचे..

आप जितने भी सफल लोग को जानते है..
उनकी सबसे बड़ी खूबी क्या है..
पता है..??
वो प्रतिक्रिया देने से बचते है..।।



आपने कुछ कलाकार,खिलाड़ियों,राजनेताओं को ट्रोल होते हुए या कभी-न-कभी किया होगा..।।
मगर उसके बाद कुछ को छोड़कर किसी और को ट्रोल होते हुए नही देखा होगा..क्योंकि वो प्रतिक्रिया देना बंद कर देते है..।।
(मैं यंहा सफल लोगों के बारे में बात कर रहा हूँ,क्योंकि वर्तमान में कुछ लोग लोकप्रिय होने के लिए खुद से ट्रोल होते है)

हमें भी अगर अपने जीवन को सरल और सफल बनाना है तो, ये नुस्खा अपना कर जिंदगी को 360° बदल सकते है..।।

आपने गौर किया होगा अक्सरहाँ हम प्रतिक्रिया अपने जानने वालों के साथ करते है,जो समझदार होते है वो आपके प्रतिक्रिया का प्रतिक्रिया नही करते और जो करते है,उनके साथ आपका संबंध अच्छा नही रहता..।।

आपने कभी ध्यान दिया है..
आप अगर कुछ कर रहे है और आपकी माँ खाने के लिए बोलती है तो हमारा जबाब क्या होता है.. सोचिएगा🤔
हम ये भी कह सकते थे थोड़ी देर बाद खा लूंगा..मगर हमारा जबाब ये नही होता..😊

घर के सदस्य आपके प्रतिक्रिया को सहन करेंगे,मगर घर के बाहर के लोग क्यों सहन करेंगे..।।

इसिलिय प्रतिक्रिया देने से बचे..
मगर कैसे..??
1.मौन रह कर..
2.या फिर जब बोलना जरूरी हो तब छोटा सा जबाब देकर..
आसान नही है,मगर आप आज से शुरू करेंगे तो 3 महीने से पहले ही अपने अंदर बदलाव देखेंगे..।।

सबसे पहले घर से ही शुरू करें..
और खुद से कहें कि, जंहा जरूरी न हो..वंहा प्रतिक्रिया नही देंगे या फिर जो पूछा गया है,उसका सीधा और छोटा सा जबाब देंगे, अगर हां या ना में बात बन जाये तो अच्छा है..।।

रविवार, 28 जनवरी 2024

उम्र तो बस एक नंबर है..

ऐसे कई लोग है,जिसने उम्र को मात देकर नए कीर्तिमान रचें..
ऐसा ही कर दिखाया है रोहन बोपन्ना(टेनिस खिलाड़ी) ने..



43 साल के उम्र में ऑस्ट्रेलिया ओपन मैन्स डबल जीत कर..वो इस उम्र में मैन्स डबल जीतने वाले पहले खिलाड़ी है..
इसी जीत के साथ वो अपने कैरियर में पहली बार पहले पायदान(1st rank) पर आ गए..




जिस उम्र में अक्सरहाँ खिलाड़ी रिटायरमेंट ले लेते है उस उम्र में ये अपने कैरियर के सर्वश्रेष्ठ स्थान पे है..।।

आज अक्सरहाँ युवा हताश है..
उन हताश युवा के लिए आज वो प्रेरणास्रोत है..

उनकी जीत ये बयां करती है की, 
सफलता मिलेगी ही..
बस एक शर्त है...
मैदान छोड़ मत भागो तुम..।।

मगर अफसोस आज अक्सरहाँ युवा मैदान में है ही नही..

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के 43 करोड़ युवा 
(14-35 वर्ष के) ऑनलाइन गेम खेलते है(तीन पत्ती, रमी सर्किल, pub-g इत्यादि) और इसपे  औसत 2.5- 3 घंटा बिताते हैं..

9  से 17 साल के 62% बच्चे औसतन 3.5 घंटा+ सोशल मीडिया पर बिताते हैं..

   • आज 90% युवा सोशल मीडिया इस्तेमाल करते है,जिन्होंने महीने में कम से कम एक बार लॉगिन किया है..।।
    - इसमें से 37%  addict हो  चुके है..

रोहन्न बोपन्ना ने साबित कर दिया है..
जीतेगा तो वही जो मैदान में डटा रहेगा,
न कि स्मार्टफोन पे...

आज अक्सरहाँ युवा हताश है,निराश है,परेशान है..
क्योंकि वह स्मार्टफोन का गुलाम है..।
इन गुलामी की जंजीर तोड़ कर..
खुद से कहिए..
जब 43 कि उम्र में रोहन्न बोपन्ना कर सकते है तो मैं क्यों नही..??

मगर अफसोस भारत का 90% आबादी रोहन बोपन्ना को जानता तक नही,यह जीत उनका दायरा बढ़ा देगा..
मगर क्या हम उनके दायरे से कुछ सीख पाएंगे..??
अगर हां तो जिंदगी में बदलाव आनी निश्चित है..
अन्यथा जिंदगी जैसी चल रही है..चल रही है...😊


अपने लिए कभी भी कोई सीमा तय न करें और खुद पर विश्वास रखें, क्योंकि आप नही जानते कि जीवन कब जादुई तरीके से बदल सकता है...
रोहन बोपन्ना


गुरुवार, 25 जनवरी 2024

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
अगर होती तो..
रेगिस्तान में नागफनी नही उगता,
हिमालय की चोटियों पे काई नही जमती..
सागर की गहराइयों में श्रिम्प नही मिलते..



संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
अगर होती तो जंगल और कंदरा मे रहने वाले सिंधु सभ्यता का निर्माण न कर पाते..
और जंगलों को काट कर कुटियां बना कर वेद की ऋचा न रच पाते..
अगर होती तो..कोई राजकुमार ना ही..बुद्ध होता
और ना ही महावीर होता..।
यू ही कोई चंदाशोक(चंडाल) से देवानां प्रियदर्शी ना होता..

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
किसने सोचा था की दिल्ली पर सल्तनत का शासन होगा..
किसने सोचा था की सबकुछ खो कर कोई भारत मे मुगल वंश का स्थापना कर लेगा..
किसने सोचा था कि एक कंपनी भारत को गुलाम बना लेगा..

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
इसिलिय तो कई स्वतंत्रता सेनानियों ने खुशी-खुशी जीवन कुर्बान कर दिया तो कइयों ने भारत की आजादी के लिए पूरा जीवन न्योछावर कर भारत को स्वंतंत्र करा लिया..।।

संभवनाएं कभी खत्म नही होती..
भारत लोकतंत्र के रूप में स्वरूप ले ही रहा था कि चीन ने खंजर घोपा फिर पाकिस्तान ने..
हम फिर भी नही रुके..
हम बढ़ते रहे क्योंकि संभावनाएं खत्म नही होती..
हम 90 के दशक में कंगाली के हालात में आ गए थे..
हमने जिससे ऋण लिए आज उसको ही सहयोग कर दूसरों को ऋण दे रहे है..

संभवनाएं कभी खत्म नही होती..
परमाणु परीक्षण के कारण जिस-जिस ने हमसे दूरियां बनाई 
आज वो भी गलबहियां कर रहे है..
कभी हम साईकल और बैलगाड़ी पर उपग्रह प्रक्षेपण करने के लिए सामना ढो रहे थे..
तो आज कइयों देशों के उपग्रह प्रक्षेपण कर रहे है..।।

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
अगर होता तो कोई चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री न होता..
धारा 370 हटाने और राम मंदिर बनाने का दिवास्वप्न साकार न होता..

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
अगर धैर्य और साहस है..
तो वो सबकुछ मिलेगा जिसका आप अधिकारी है..।।

संभावनाएं कभी खत्म नही होती..
अगर होती तो रेगिस्तान में नागफनी नही उगती..
हिमालय की चोटियों पे काई नही जमती..
सागर की गहराइयों में श्रिम्प नही मिलते..

संभावनाए कभी खत्म नही होती..




बुधवार, 24 जनवरी 2024

मैं नजरें नही मिला पाता हूँ

मैं नजरें नही मिला पाता हूँ..माँ..
जब आपकी छवि देखता हूँ, 
तो रो पड़ता हूँ माँ..।।
आपने जो मेरे लिए किया..
और जो कर रही है..
क्या मैं कर पाऊंगा माँ..??


सबसे बुरा कौन..??

बुरा जो देखन में चला, बुरा न मिलिया कोई...
जब दिल झांका आपना, मुझसे बुरा न कोई..।।



कबीर दास की ये उक्तियां वास्तविक में सबके ऊपर चरितार्थ होता है..।।

आपको क्या लगता है..क्या आप अच्छे है..??
अगर हां, तो कैसे..??
जरा सोचिए🤔..

अगर आपका जबाब हां में है, तो मैं आपको गलत साबित कर सकता हूँ..
सच कहूं,तो यंहा सब बुरे है..
कुछ दुसरो के नजर में,तो कुछ खुद के नजर में..।।

दुसरो के नजर में गलत होना उतना बुरा नही है,जितना खुद के नजर में बुरा होना है..।।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 90% से ज्यादा लोग खुद के नजर में बुरे है,और ये जानकर आपको और हैरानी होगी कि इसमें से 85% इस उहापोह में रहते है कि क्या सही में हम गलत है..।।
आपको ये जानकर और हैरानी होगी कि वर्तमान में 90% बीमारी हमारे अंदर के बुराइयों के कारण हो रही है,आप इसमें उन सभी भयावह बीमारी को भी शामिल कर सकते है..।।

बुरा कौन है...??
साधारणतयः हम उसे बुरा कह देते है,जो परिवार,समाज, देश को अपने भावनाओं और आचरण से नुकसान पहुँचाता है..।।

हममें से अक्सरहाँ लोग परिवार,समाज,देश के आदर्शों, नैतिकताओं और कानूनों के कारण गलत आचरण करने से बचते है..।।

अब बात करते है.. सबसे बुरा कौन है..??
सबसे बुरा वो है,जो स्वयं के साथ बुरा करता है..
आज हम सभी किसी-न-किसी तरह से स्वयं के साथ बुराईया कर रहे है..
इसिलए तो आपको सड़को पे लटकते हुए,मायूस चेहरे दिखेंगे..
सोचा है क्यों..??
क्योंकि वो हर रोज खुद को मार रहे है..।।
क्यों..??

दूसरों को मारने पर दंड का प्रावधान है,
मगर स्वयं को मारने पर किसी तरह का प्रतिबंध नही है..

इसिलए तो हम रोज स्वयं को मार रहे है,और किसी को पता भी नही चल रहा है..यंहा तक कि स्वयं को भी नही पता चल रहा है..।।

जरा सोचिए🤔..
आप आखरी बार यू ही कब मुस्कुराये थे..
आप आखरी बार खुद के लिए कब रोये थे..

हम अपने भावनाओं,इच्छाओं,आकांछाओ को भूल कर कोई और कृत्य कर रहे है,
या फिर उस भावनाओं,इच्छाओं,आकांछाओ के जंजीर से जकड़े हुए है..।
दोनों ही परिस्थितियों में हम खुद के साथ ही बुरा कर रहे है..।।

दूसरों के साथ बुरा करना उतना बुरा नही है,
जितना स्वयं के साथ बुरा करना है..
क्योंकि..दुसरो के साथ हम बुरा अज्ञानतावश,क्रोधवश,स्वार्थवश करते है..।

मगर स्वयं के साथ जानते हुए की ये बुरा है तब भी हम स्वयं के साथ बुरा कर रहे होते है..।

इसिलए कबीर दास जी ने कहा है- मुझसे बुरा न कोई..



सोमवार, 22 जनवरी 2024

राम पूजनीय क्यों है..

भारतभूमि ही एक ऐसी भूमि है..
जंहा हरेक कोई भगवता को सिर्फ प्राप्त ही नही,
बल्कि भगवान बन सकता है..।।



यंहा एक नही कई भगवान है..
यंहा तक कि हरेक भारतीय में,
भगवता की लौ जल रही है..
ये अलग बात है कि वो लौ इतना कम है,
कि स्वयं को भी पता नही चल रहा है..।।

आज अच्छा अवसर है..
उस राम को याद करने का जो साधारण से असाधारण बन गए..


आखिर राम पूजनीय क्यों हो गए..??
सिर्फ भारत ही नही बल्कि भारत से बाहर भी राम की कथा होती है..।।
क्यों..??

क्योंकि वो साधारण थे..
हममें से ही एक थे..।
उन्होंने कोई चमत्कारिक कार्य नही किया..
बल्कि उन्होंने अपने कर्तव्य का निष्ठापूर्वक निर्वहन किया..।।

क्या कोई अपने कर्तव्यों का निर्वहन करके भगवान बन सकता है..??

हां.. राम इसके सबसे बड़े आदर्श है..।।

आज अच्छा अवसर है..
श्रीराम के चरित्र को स्मरण करके..
अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का..।।

राम ने हरेक कर्तव्यों का सही से निर्वहन किया..।।
क्या हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है..??
अपने आप से पूछे..
क्या आप अच्छे पुत्र/पुत्री है..??
क्या आप अच्छे भाई/बहन है....??
क्या आप अच्छे पति/पत्नी है..??
क्या आप अच्छे माँ/बाप है..??
क्या आप अच्छे मित्र है..??
क्या आप एक अच्छे नागरिक है..??

अगर हां तो...
मुस्कुराइए😊 आप मैं भी भगवान बनने की संभावना है..।।


गुरुवार, 11 जनवरी 2024

प्यार की पांति..

अच्छा हुआ कि उन्हें मुझसे प्यार न हुआ..
अगर होता तो क्या होता..??


अगर उन्हें मुझसे प्यार होता तो..
मैं उन्हें वो खुशियां नही दे पाता,
जिसका वो हक़दार होती..
उनके अनगिनत सपने यू ही टूट जाते..
उनके अनेक ख्वाहिशे यू ही धूमिल हो जाते..
उनकी छोटी सी मुस्कान...
मेरे संगत में आते ही धूमिल हो जाती..

अच्छा ही हुआ कि उन्हें मुझसे प्यार न हुआ..
नही तो मेरे अतरंगे परिवार में कई दफा आंसू बहाना पड़ता..
खुद को कोसती और कहती कंहा आकर फंस गया..

अच्छा ही हुआ कि उन्हें मुझसे प्यार न हुआ..
मगर मुझे तो हुआ..
शायद उन्हें भी होता...
तो जिंदगी ऐसी नही, जैसा मैं सोचता हूँ,
इससे बेहतर भी हो सकता था..।।

अच्छा ही हुआ कि उन्हें मुझसे प्यार न हुआ..



रविवार, 7 जनवरी 2024

प्रकृति का नियम है..

प्रकृति का नियम है..
हल्की चीज हमेशा ऊपर उठती है..
और भारी चीज नीचे गिरती है..

इसी तरह आप सफल तब तक नही होंगे..
जब तक आप हल्के न हो जाओ..
उन सारे बेवजह बोझों को उतार फेकना होगा..
जिसे लादे फिर रहे है...
जो आपके जीवन में सहायक नही,
 बाधक का काम कर रहे है..।।



बाइबिल में कहा गया है-
जिसकी जितनी बड़ी झोलियां होगी,उसे उतना मिलेगा..।।

मगर निर्णय तो हमें ही करना होगा कि हमें झोलियां में भरना क्या है..।।
आज हम क्या कर रहे है...??
जो मिल रहा है उसे अपने दिमाग रूपी झोली में भरते जा रहे है..
ये न जानते हुए की ये हमारे लिए उपयोगी है भी की नही..।
यही कारण है कि हम अनेक समस्याओं का सामना कर रहे है..

समय आ गया है..
खुद को फॉरमेट तो नही, रीस्टार्ट तो कर ही सकते है..
उन फाइलों को डिलीट करें जो न ही आपके लिए..
और ना ही आपके चाहने वालो की लिए जरूरी है..।।
खाली बचे जगहों में उन चीजों को शामिल करें..
जो आपके जिंदगी के लिए जरूरी है...।।

जेनुअरी का पहला ही संडे है..
पूरा साल बाकी है..
क्या हुआ 1 जेनुअरी का खुद से किया हुआ वादा टूट गया तो..
अभी 51 सप्ताह बाकी है..😊

आज से अभी से एक छोटा कदम उठाते है..
खुद को खाली करने के लिए..
ऊपर उठने के लिए..
और फिर जंहा से उठे है..
वंही बारिश की बूंदों की तरह गिर जाने के लिए..।।

शनिवार, 6 जनवरी 2024

मैं हर रात..

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से, फिर नई शुरुआत करूंगा..
मगर कई कल बीत गए..
मगर वो कल नही आया..
जिस कल से नई शुरुआत करूं मैं...।।



मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।

थका तो नही हूँ मैं..
ना ही, हार के हारा हूं..
न जाने फिर क्यों..
मैं हार सा ही गया हूँ..??

न हार का गम है..
ना ही जीत के लिए जुनून है..
तो फिर इस जीवन का मतलब ही क्या है..??

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।

कब तक यू ही रेंगता रहूंगा..
कब तक यू ही दूसरे को कोसता रहूंगा..
कब तक, हां कब तक..
आइने में देख कर मुस्कुराता रहूंगा..

कभी तो हिम्मत जुटानी होगी..
अपनी खामियों को मिटानी होगी..
जिंदगी जो बेपटरी हुई है..
उसे पटरी पर तो लानी होगी..।।

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।
ना जाने वो कल कब आएगा..
या फिर..
ना जाने वो कल कब लाऊंगा..
कुछ चीजें हमारे हाथों में है..
जो हमारे हाथों में है,
उसे कैसे जाया जाने दुं में..।।

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..
मगर कई कल बीत गए..
मगर वो कल नही आया..
जिस कल से नई शुरुआत करूं मैं..।।



बुधवार, 3 जनवरी 2024

हारता तो वो है..

हारता तो वो है..
जो मर चुका है..


जबतल्क सांस है..
तबतल्क कोई कैसे हार सकता है..
सांसे जबतल्क चल रही हो..
मैदान छोड़ मत भागो तुम...
क्या पता नियति ने..
हार के पहाड़ पे ही..
जीत का यशगान लिखा हो..।।

जबतल्क सांस है..
तबतल्क लड़ते रहो अपने अंतर्द्वंद से...
पढ़ते रहो उनसबको..
जो तुम्हारे हार का उत्सव मना रहे है..


जबतल्क सांस है,
तबतल्क चलते रहो,बढ़ते रहो, सही राह पर..
मंजिलें मिल ही जाएगी..

क्या पता किस मोर पर सफलता का सोपान हो..
अगर तुम हार कर रुक गए...
तो उस मोड़ का क्या होगा..??
जिस मोड़ पे सफलता राह जोह रही है..।।

हारना और जितना प्रकृति का नियति है..
मगर प्रकृति का असली नियति है..
खिलना..
तो फिर भला हार कर...
कैसे कोई प्रकृति की नियति को साकार कर सकता है..

हारता तो वो है..
जो मर चुका है...।

जबतल्क सांस है..
तबतल्क कोई कैसे हार सकता है..
सांसे जबतल्क चल रही हो..
मैदान छोड़ मत भागो तुम...
क्या पता नियति ने..
हार के पहाड़ पे ही..
जीत का यशगान लिखा हो..।।