ऐसा ही कर दिखाया है रोहन बोपन्ना(टेनिस खिलाड़ी) ने..
43 साल के उम्र में ऑस्ट्रेलिया ओपन मैन्स डबल जीत कर..वो इस उम्र में मैन्स डबल जीतने वाले पहले खिलाड़ी है..
इसी जीत के साथ वो अपने कैरियर में पहली बार पहले पायदान(1st rank) पर आ गए..
जिस उम्र में अक्सरहाँ खिलाड़ी रिटायरमेंट ले लेते है उस उम्र में ये अपने कैरियर के सर्वश्रेष्ठ स्थान पे है..।।
आज अक्सरहाँ युवा हताश है..
उन हताश युवा के लिए आज वो प्रेरणास्रोत है..
उनकी जीत ये बयां करती है की,
सफलता मिलेगी ही..
बस एक शर्त है...
मैदान छोड़ मत भागो तुम..।।
मगर अफसोस आज अक्सरहाँ युवा मैदान में है ही नही..
●आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के 43 करोड़ युवा
(14-35 वर्ष के) ऑनलाइन गेम खेलते है(तीन पत्ती, रमी सर्किल, pub-g इत्यादि) और इसपे औसत 2.5- 3 घंटा बिताते हैं..
● 9 से 17 साल के 62% बच्चे औसतन 3.5 घंटा+ सोशल मीडिया पर बिताते हैं..
• आज 90% युवा सोशल मीडिया इस्तेमाल करते है,जिन्होंने महीने में कम से कम एक बार लॉगिन किया है..।।
- इसमें से 37% addict हो चुके है..
रोहन्न बोपन्ना ने साबित कर दिया है..
जीतेगा तो वही जो मैदान में डटा रहेगा,
न कि स्मार्टफोन पे...
आज अक्सरहाँ युवा हताश है,निराश है,परेशान है..
क्योंकि वह स्मार्टफोन का गुलाम है..।
इन गुलामी की जंजीर तोड़ कर..
खुद से कहिए..
जब 43 कि उम्र में रोहन्न बोपन्ना कर सकते है तो मैं क्यों नही..??
मगर अफसोस भारत का 90% आबादी रोहन बोपन्ना को जानता तक नही,यह जीत उनका दायरा बढ़ा देगा..
मगर क्या हम उनके दायरे से कुछ सीख पाएंगे..??
अगर हां तो जिंदगी में बदलाव आनी निश्चित है..
अन्यथा जिंदगी जैसी चल रही है..चल रही है...😊
अपने लिए कभी भी कोई सीमा तय न करें और खुद पर विश्वास रखें, क्योंकि आप नही जानते कि जीवन कब जादुई तरीके से बदल सकता है...
रोहन बोपन्ना
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