शनिवार, 6 जनवरी 2024

मैं हर रात..

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से, फिर नई शुरुआत करूंगा..
मगर कई कल बीत गए..
मगर वो कल नही आया..
जिस कल से नई शुरुआत करूं मैं...।।



मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।

थका तो नही हूँ मैं..
ना ही, हार के हारा हूं..
न जाने फिर क्यों..
मैं हार सा ही गया हूँ..??

न हार का गम है..
ना ही जीत के लिए जुनून है..
तो फिर इस जीवन का मतलब ही क्या है..??

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।

कब तक यू ही रेंगता रहूंगा..
कब तक यू ही दूसरे को कोसता रहूंगा..
कब तक, हां कब तक..
आइने में देख कर मुस्कुराता रहूंगा..

कभी तो हिम्मत जुटानी होगी..
अपनी खामियों को मिटानी होगी..
जिंदगी जो बेपटरी हुई है..
उसे पटरी पर तो लानी होगी..।।

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..।।
ना जाने वो कल कब आएगा..
या फिर..
ना जाने वो कल कब लाऊंगा..
कुछ चीजें हमारे हाथों में है..
जो हमारे हाथों में है,
उसे कैसे जाया जाने दुं में..।।

मैं हर रात यही सोच के सोता हूँ..
कल से फिर नई शुरुआत करूंगा..
मगर कई कल बीत गए..
मगर वो कल नही आया..
जिस कल से नई शुरुआत करूं मैं..।।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें