कुछ सुबहें पूरी फिजा को ग़मगीन कर देती है..आज की सुबह कुछ वैसी ही थी..
मानो पूरी प्रकृति मौन हो..
मुंबई के बादलों को शायद पता था..
इसीलिए बादलों की छांव ने एकदिन पहले से ही मुम्बई को ढक दिया था..
और सिसक-सिसक कर बूंदे गिरो रहा था..
क्योंकि एक रत्न जो भारत को हरेक क्षेत्र में अग्रणी और उसके सम्मान के लिए सब कुछ न्यौछावर करने के लिए सबसे अग्रणी रहता था..
वो चुपचाप सबको छोड़के जाने वाला था.।।
रतन टाटा भारत के वो रत्न थे,जिनसे सब प्यार करते थे..वो आज इस प्रकृति में विलीन हो गए..
टाटा सिर्फ नाम नही बल्कि भारत का गौरव है..
भारत जिस-जिस क्षेत्र में पीछे था..
उस क्षेत्र में टाटा ने अग्रणी भूमिका निभाई और दूसरे कंपनियों के लिए पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई..
चाहे वो लक्ज़री ब्रांड हो(लैक्मे,टाइटन),या फिर IT,स्टील,लक्सरी गाड़ियां, लक्सरी होटल,उन सभी क्षेत्र में टाटा ने भारत को विश्व मे पहचान दिलाई..
टाटा को ग्लोबली पहचान दिलाने में रतन टाटा का अहम योगदान था..
रतन टाटा का जन्म मुम्बई में 28 दिसंबर 1937 को हुआ इनके पिता नवल टाटा और माँ सोनू टाटा थे..
जब ये 10 साल के थे तो इनके माता-पिता का तलाक हो गया जिसके बाद इनकी परवरिश इनकी दादी नावजबाई टाटा ने की
इन्होंने शुरुआती पढ़ाई मुम्बई से ही किया और इन्होंने कॉर्नवाल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर में स्नातक किया..
1961 में टाटा स्टील में काम करना शुरू किया.. फिर इनके चाचा J.R.D TATA ने घाटे में चल रही कंपनी Nelco का कमान दिए इस कंपनी को दो साल में ही घाटे से उबारकर मुनाफे में ला दिया।(और इसी समय TCS का बीज इन्होंने अपने अंदर बो दिया..जो आज वटवृक्ष बन चुका है..जिससे स्वंतंत्र होकर कई वृक्ष(इंफोसिस,HCL etc) पूरे विश्व मे अपना परचम लहरा रहे है)
1991 में J.R.D Tata ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया जो 2012 तक बने रहें...
इन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समहू का वैश्वीकरण किया..और अपने 21 साल के कार्यकाल में टाटा समूह के राजस्व को 40 गुणा बढ़ाया और लाभ 50 गुणा बढ़ाया..।।
और आज टाटा समूह अपने राजस्व का 50% अंतराष्ट्रीय बाजार से अर्जित करता है..।।
रतन टाटा ने अपने स्तर पर कई छोटे स्टार्टअप कंपनी को सपोर्ट किया चाहे वो स्नैपडील हो या ओला कैब और ढेर सारी कंपनियां जिसे उन्होंने अपने स्तर पर सपोर्ट किया..।।
रतन टाटा सच में एक संत थे..
जिन्होंने अपने सारे गमों को अपने अंदर दफन करके देश और समाज के कल्याण के लिए सबकुछ न्यौछावर कर दिया..
- उन्होंने जिस विश्वविद्यालय से पढ़ा (कॉर्नेल विश्वविद्यालय) उसे 2008 में 50 मिलियन $ दान दिया जो अब तक के इतिहास में किसी विश्वविद्यालय को इतना बड़ा दान नही दिया गया है..
-कोरोना काल मे सर्वाधिक दानदाताओं में सबसे अग्रणी थे..
वास्तविकता तो ये है कि उनका जन्म ही देने के लिए हुआ था..
टाटा ग्रुप आज भी अपने लाभ का 60% चैरिटी करता है..।
रतन टाटा के जिंदगी में भी कई मोड़ आये मगर वो हारे नही..
10 साल के उम्र में ही माता-पिता का तलाक..
अमेरिका में जॉब के दौरान जिससे प्रेम किया उस रिश्ते को लेकर परिवार खुश नही था जिस कारण उससे शादी नही किया और ताउम्र कुँवारे ही रहे..
2011 में उन्होंने कहा था "मैं चार बार विवाह के निकट पहुंचा किंतु प्रत्येक बार किसी भय या किसी अन्य कारण से पीछे हट गया"..(शायद माता-पिता का तलाक या अपने प्रेम के प्रति सम्मान रहा हो)
इनका जिंदगी भी एकांकी भरा था मगर उन्होंने इसे अपने ऊपर हावी नही होने दिया..
इन्होंने पूरे वसुधा को ही अपना कुटुंब मान लिया..
इसीलिये तो आज की सुबह उनके निधन की खबर सुनकर पूरा वसुधा ग़मगीन हो गया..।।