हम आज जिस परिस्थिति में है,
उसके लिए स्वयं और खुद स्वयं ही जिम्मेवार है..।
मजे की बात ये है कि हम जब चाहै,
तब अपनी परिस्थितियों को बदल सकते है..
मगर अफसोस हम जिस परिस्थिति में है उसमें रहने के आदि हो जाते है,और उसे ही सत्य मान लेते है..।
मगर वास्तविकता ये है कि..
इस जगत में कुछ भी सत्य नही है..।
सिर्फ और सिर्फ स्वयं के सिवा..।।
शंकराचार्य कहते है:-
" ब्रह्म सत्यह जगत मिथ्या,जीवो ब्रह्मो नापरः"
ब्रह्म सत्य है,जगत मिथ्या है,और जीव ही ब्रह्म है,और इसके सिवा कुछ भी नही...
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