उन्होंने कहा- "अप्प दीपो भवः"
यानी अपना दीपक स्वयं बने...।।
मगर वर्तमान में क्या हो रहा है..
आप जरा सोचिए बचपन से लेकर अबतक आप दूसरों के विचारों से ही प्रभावित है,आप आज जो कुछ कर भी रहे है कंही न कंही उसपे दूसरों का प्रभाव ही है..
वास्तविकता तो ये है कि वर्तमान समय मे हम खुद से कुछ निर्णय लेने की स्थिति में है ही नही..।।
आपको अगर कुछ खरीदना है तो आप कमेंट और रिव्यु देखते है,इंस्टा पर रील देखकर फैशन का चयन करते है..
Tv और मोबाइल पे ऐड देखकर आप समान खरीदते है..।।
जरा सोचिए आपने आखरी बार कब अपनी पंसंद की वस्तु खरीदी थी..जिसके लिए आपको ऐड और रिव्यु नही देखना पड़ा था..।।
वर्तमान में हमारी नई जेनरेशन पूर्णतया दूसरों पे आश्रित होते जा रहे है..
वो कुछ भी निर्णय करने की स्थिति में आज नही है..
वो क्या पहनेंगे,क्या खाएंगे,क्या पियेंगे,क्या करेंगे..
इसका निर्णय कोई और कार रहा है..
अब ये स्थिति ग्रामीण क्षेत्र में भी अपना विशालकाय रूप धारण करने को अग्रसर है..।।
इसलिय इस दीवली एक दीप अपने लिए जलाए..
और स्वयं ही "अप्प दीपो भवः " होए..
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