सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

जिंदगी एक दौड़ है

सब भाग रहे है..क्योंकि और कोई ऑप्शन नही है..
अगर हम जिंदगी के इस दौड़ में नही भागे..
तो क्या होगा..??
जरा सोचिए🤔
या तो रौंद दिए जाएंगे,या फिर जिंदगी के इस दौड़ में पीछे रह जाएंगे..।।
और क्या हो सकता है..???




हम सब भाग ही रहे है..
कोई इस दौड़ में जीत रहा है,तो कोई हार रहा है,तो कोई हार कर इस दौड़ से ही बाहर हो जा रहा है..।।
वो कायर है जो जिंदगी के दौड़ में हारकर,दौड़ से बाहर हो रहे है या होने की सोचते है..।।

हमारे हाथ मे हार और जीत नही है..
मगर हमारे हाथ मे कुछ चीजें है..
जो हमें जिंदगी के दौड़ में औरों से आगे ले जा सकता है..


हम अपने ट्रेक का चयन खुद कर सकते है..
  हमें ये निर्णय लेने का अधिकार है कि हम 100मीटर का दौड़ दौड़े या फिर 400मीटर का या फिर मैराथन..

-हममें से अक्सरहाँ लोग आज 100मीटर की दौड़ दौड़ने में 
 लगे हुए है..क्योंकि सबको सफलता जल्दी चाहिए..
किसी को मिल जाती है किसीको नही मिलती..
जिसे मिल जाती है वो किसी चकाचौंध में खो जाता है,
जिसे नही मिलता वो किसी गुमनामी में खो जाता है..

हम अपना क्षमता को जाने ही..
सीधे दौड़ना शुरू कर देते है..
बिना ये जाने की क्या...
इसके लिए में योग्य हूँ, 
या फिर ये मेरे लिए योग्य है..
सबसे पहले हमें अपनी क्षमता को जानना होगा..
उसी के अनुसार ट्रैक का चयन करना होगा..

इस धरा पे जो भी है सब क्षमतावान है..
हम अपनी क्षमता का इस्तेमाल कैसे करते है..
ये बहुत महत्वपूर्ण है...।।

हममें से कुछ ही लोग होते है जो मैराथन ट्रैक का चयन करते है..और उनमें से कुछ ही लोग अपने मंजिल तक पहुंच पाते है..
जो पहुंच जाते है उन्हें दुनिया याद रखती है..
जो नही पहुंच पाते वो खुश रहते है..

मगर वास्तविकता ये है कि हम सबको मैराथन का हिस्सा होना ही होगा..
आप चाहे कुछ भी कर लो..
आपको मैराथन के इस ट्रैक पे दौड़ना ही होगा..
आपके पास ये आजादी है कि आप खुद ट्रैक की सीमा निर्धारित कर सकते है..

जिंदगी एक दौड़ है..
दौड़ना ही होगा.
न जीत के लिए..
न हार के लिए,
जीने के लिए दौड़ना ही होगा..।
जिंदगी एक दौड़ है,
दौड़ना ही होगा..






सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

कुछ चीजें हमारे हाथ में नही होती...

हम कब उठते है..कब सोते है,कब खाते है,कब पीते है..
कब घर से बाहर निकलते है..
कब और किससे फ़ोन पर बात करते है..
तमाम ऐसी चीज ~90% हमारे हाथ मे है..
सिर्फ 5% जो हमारे हाथ में नही है..
मगर 90% हमारे हाथ मे ही है..।।



मगर हम ताउम्र उस 5% के लिए खुद को कोसते रहते है,जो हमारे हाथ मे नही है..
और उस 95% को नजरअंदाज या दुरुपयोग करते है जो हमारे हाथ मे है..।।

ये अलग बात है कि जो 5% चीजें आपके हाथ मे नही है,अगर होती तो शायद जिंदगी आसान हो जाती..
मगर क्या हम 95% चीजों को नजरअंदाज कर सकते है..??

जो 95% को नजरअंदाज नही करते वो ही कीर्तिमान रचते है..

हम उस 5% की बात करते है..
जो हमारे हाथ मे नही है..
1.आपका जन्म कंहा,किस तरह के परिवार में होगा ये हमारे हाथ मे नही है..
ये चीज हमारे आनेवले जिंदगी को निर्धारित करता है..
(शिक्षा,स्वास्थ्य, विचार एवं अन्य चीजें)
मगर अफसोस ये हामरे हाथ मे नही है..

मगर इन सब के अलावा बाकी सब चीज आपके हाथ में है..
मगर अफसोस इस चीज का ज्ञान होने के लिए हमें 14-15 साल की उम्र तक इंतजार करना होता है..

कभी-कभी तो हम ताउम्र उन चीजों को कोसने में लगा देते है,
जो हमारे हाथ मे है ही नही..
और जो चीज हमारे हाथ मे है उसका सदुपयोग करते ही नही है..।।

जरा सोचिए आपके हाथ मे क्या है..
सच कहूं तो हमारे हाथ मे कुछ चीज नही है..
मगर हमारे हाथ मे भविष्य की कुंजी है....

आपको पता है वो भविष्य की कुंजी क्या है..??
जरा सोचिए..🤔
हमारे भविष्य की कुंजी हमारा समय है..।।

इस समय का अगर सही से इस्तेमाल कर लिया तो वो 5% मायने नही रखता जो हमारे हाथ मे नही है..।।

क्या हम तैयार है..??
अपने समय का सही से सदुपयोग करने के लिए..
शायद.....😊
 

रविवार, 18 फ़रवरी 2024

प्यार की पांति...एक थी अल्हड़ सी..

एक थी अल्हड़ सी..
जिससे प्यार हो गया..
मगर उस अल्हड़ को मुझसे हुआ ही नही..
शायद मुझे प्यार करना और जताना आया ही नही..



एक थी अल्हड़ सी..
जिससे उसके सपनों को पूरे करने में सहयोग करने का वादा किया था..
अफसोस अपना सपना भी पूरा नही कर पाया..

एक थी अल्हड़ सी..
जिसकी एक झलक देखने को बेताब रहता था
और उसकी एक झलक देखते ही..
मैं फूलों की तरह खिल जाता था..
और उसकी महक हवा में घुल जाती थी..
मगर वो इस सबसे बेखबर थी..


एक थी अल्हड़ सी..
अनजाने में ही उसके अंगुलियों का स्पर्श आज भी याद है..

एक थी अल्हड़ सी...
जिसे भूलना चाहता हूं..
मगर उसका अल्हड़पन भूल ही नही पाता हूँ..
मगर अब धीरे-धीरे उसके अनेक यादें धूमिल होती जा रही है..
एक थी अल्हड़ सी..

शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

हमें खुद ही..

हमें अपनी कहानियां खुद ही लिखना होता है..

जिस तरह मकड़ियों को अपनी जालियां खुद ही बुनना होता है..।



हमें खुद ही अपनी मंजिल ढूंढने के लिए जदोजहद करना होता है..

जिस तरह नदियां को अपनी मंजिल ढूंढने के लिए पर्वतों को चीरना होता है...।।

हमें खुद ही अपना रास्ता बनाना होता है..

जिस तरह पानी की धारा अपना रास्ता बनाता है..।

हमें खुद ही निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए, हरेक परिस्थितियों में मुस्कुराना होता है..

जिस तरह प्रकृति हरेक परिस्थितियों में मुस्कुराती रहती है..।

हमें खुद ही स्वयं को तराशना होता है..

जिस तरह गंडकी के पत्थर स्वयं को तराशकर पूजित होता है...

हमें खुद ही अपनी कहानियां लिखना होता है..



शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

हमसब बुरे है..??

मानो या न मानो..
हमसब बुरे है..
ये बात अलग है कि कोई थोड़ा ज्यादा तो कोई थोड़ा कम है..
मगर हम सब बुरे है..।।
मगर कैसे..??



इसका बीजारोपण बचपन से ही शुरू हो जाता है..
हमें सबसे पहले जो नैतिक गुण सिखाया जाता है वो है..
  सच बोलना..
  मगर क्या आपको पता है.. हमारी सबसे पहली बुराई की शुरुआत झूठ बोलने से ही होती है.. क्यों..??
 क्योंकि सच बोलने पर पिटाई पड़ती थी..और पिटाई से बचने के लिए हम झूठ बोलना शुरू कर देते है..
और ये आदत हमारे जिंदगी का हिस्सा बन जाता है..
और हम अभी भी झूठ बोलते है..
वो अलग बात है कि हमारे झूठ से किसी का नुकसान नही होता
(इस तरह के झूठ बोलने वालों की संख्या80% है)

हमारी दूसरी बुराई है..चोरी करना..
  हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि चोरी करना पाप..
मगर हम करते है..
बचपन मे भूख मिटाने से शुरू होती है..
और ज्यों-ज्यो बड़े होते है जरूरत के अनुसार स्वरूप बदलता जाता है..
(एक सर्वेक्षण के अनुसार ~60% लोग को अगर मौका मिले तो वो अवश्य अवसर का लाभ उठाएंगे..हमसबने कभी-न-कभी उठाया ही होगा)

हमारी तीसरी बुराई हमारा स्वार्थ है..
 और इसका भी शुरुआत बचपन से ही हो जाता है..
भले हमसबको याद न हो..
मगर हमसब ने पहली लड़ाई अपने भाई-बहन,या फिर मित्रो से स्वार्थ के कारण किया होगा..
किसी खाने-पीने चीज के कारण या खिलौने के कारण..।।

हमारी चौथी बुराई हमारा क्रोध है..
इसका भी बीजारोपण बचपन मे ही हो जाता है..
क्या आपको याद है आपको पहली बार गुस्सा कब आया था,या आखरी बार..(~80% को याद नही होगा)
मगर सबसे ज्यादा गुस्सा कब-कब आया था ये अक्सरहाँ लोग को याद होगा(अगर आप इस श्रेणी में है तो मुस्कुराए😊)

हमारी पांचवी बुराई हमारी "काम"(ऊर्जा)है..
 जो हमारे बढ़ते उम्र के साथ हावी होते जाता है..
क्योंकि इसके इस्तेमाल के बारे में हमें बताया नही जाता कि इस ऊर्जा का इस्तेमाल कैसे करें..।।
ये ऊर्जा हमेशा दो दिशाओं में प्रवाहित होती है..
1. धनात्मक(पॉजिटिव) 2.ऋणात्मक(नेगेटिव)
और ये ऊर्जा इतनी शक्तिशाली है कि इसका झुकाव जिस तरफ होता है,उस तरफ के हरेक चीज को खुद में समाहित कर लेता है..।।
मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि 98% लोगों ने इस ऊर्जा के साथ सामंजस्य बैठा लिया है..
उनमें नेगेटिव और पॉजिटिव ऊर्जा का बैलेंस बना हुआ है..

आप जितने भी सफल व्यक्तिव को जानते है उन्होंने अपना ऊर्जा का सही से इस्तेमाल किया है..

•आप जितने भी बुरे व्यक्तित्व को जानते है उन्होंने नेगेटिव ऊर्जा का इस्तेमाल किया है..
ये अलग बात है कि वो उस ऊंचाई पे पहुंच नही पाते क्योंकि वो इस ऊर्जा को संभाल नही पाते..।।

अच्छा अब आप बताए कि आप अच्छे है या बुरे..
सच कहूँ तो हम न ही अच्छे है,न ही बुरे ..
हम में से अधिकांश लोग पेंडुलम की तरह झूल रहे है..
कभी अच्छाई के तरफ तो कभी बुराई के तरफ...
और हम उसे बैलेंस करने में लग जाते है..
और ताउम्र ऐसे ही गुजर जाता है..
और हम न ही अच्छे बन पाते है,और न ही बुरे..।।

 

रविवार, 11 फ़रवरी 2024

अगर जिंदा रहना है तो संघर्ष करना ही होगा..

वसुधा का नेता कौन हुआ..??
भूखंड विजेता कौन हुआ..??
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ..??
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ..??
जिसने ना कभी आराम किया..
बाधा विध्नों में रहकर काम किया..।।

गीता में श्रीकृष्ण कहते है-

"न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।

 कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः "

अर्थ- निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता, क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा कर्म करने के लिए बाध्य है..।।



क्या आपके आस-पास कोई भी जीव-जंतु,पेड़-पौधा है,जो कर्म से वंचित है..??

यह अलग बात है कि कोई थोड़ा तो कोई ज्यादा कर रहा होगा,मगर कर्म सबको करना ही है..।

इस ब्रह्मण्ड का जो भी हिस्सा है,वो कर्म से विमुख नही हो सकता..

मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने कर्म से विमुख होना चाहता है.. क्योंकि उसे अपने लक्ष्य का पता ही नही है..।।

और ये जो कर्म है यही संघर्ष है,और जो संघर्ष है वही जीवन है..

हमारा संघर्ष जितना बड़ा होगा,हमारी उपलब्धि भी उतनी ही बड़ी होगी.. बशर्ते हमारा संघर्ष सही दिशा में है..।।

आप अपने आसपास देखें, दरसल हमारे पास समय कंहा है.. स्मार्टफोन से नजर हटाने को..😊

सबसे मजबूत पेड़ कौन होते है..पता है आपको..??  जो मैदानी क्षेत्र में उगते है या फिर पर्वतों,पठारों पे..??

जब संघर्ष करते हुए उदास या हताश हो जाये तो अपने आसपास देखें.. तो पाएंगे कि आपसे भी ज्यादा संघर्ष दूसरों के जिंदगी में है..मगर वो हताश नही है.. क्योंकि उन्हें अपना लक्ष्य पता है..

क्या आपको अपना लक्ष्य पता है..??

अगर हां..तो आपको अपने इस संघर्ष में भी खुशी की अनुभूति होगी..



शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

निंदा रस

भरतमुनि को जानते है..??
भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र की रचना लगभग 200 ईसा पूर्व के आसपास की थी..
और अपने इस रचना में 9 रस की चर्चा की..
1.श्रृंगार रस        2.हास्य रस    3.करुणा रस
4.वीर रस           5. रौद्र रस     6.भयानक रस
7.विभत्स रस      8.अद्भुत रस   9.शांत रस



मगर उन्होंने एक रस को छोड़ दिया, या फिर हो सकता है वर्तमान समय मे उनके शब्दों का हम कोई और अर्थ समझ रहे हो....।
जो वर्तमान में ही नही बल्कि प्राचीनकाल में भी बड़ा रस रहा होगा उसमें..
और वो रस है 'निंदा रस"


हम मनुष्यों को किसी का निंदा करने में उतना ही रस मिलता है,जितना किसी की निंदा सुनने में..

आप कभी गौर कीजियेगा..
जब कोई किसी की निंदा/शिकायत कर रहा हो,
तो आपको कैसा महसूस होता है..??
अवश्य ही आपको अच्छा ही महसूस होगा..।।

अगर हमें एक अच्छा इंसान बनना है तो..
हमें सिर्फ किसी की निंदा करने से ही नही...
बल्कि किसी की निंदा सुनने से भी बचना चाहिये..।।
क्योंकि..
हमें किसी की निंदा करने का कोई अधिकार नही है
क्योंकि हम हमेशा ही वास्तिवकता से अनभिज्ञ रहते है..।।

हरेक सिक्के के दो पहलू होते है..
और हम हमेशा उसी पहलू को जानते है,
जिसे हम पसंद करते है..।।



शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

मेरे साथ बुरा क्यों होता है..??

आप दूसरों के नजरों में अच्छे हो सकते है,
मगर खुद के नजरों में नही..।।



अगर आपको लगता है कि आप अच्छे हो,
और सोचते हो कि..
मेरे साथ ही बुरा क्यों होता है,
जबकि मैं तो किसी के बारे में बुरा नही सोचता,
किसी का बुरा नही करता तो फिर मेरे साथ बुरा क्यों होता है..??

तो फिर से सोचने की जरूरत है..
क्योंकि हम दूसरों के साथ अच्छा तो कर रहे होते है,
मगर खुद के साथ गलत कर रहे होते है..
और हमें पता नही चलता क्योंकि..
कोई निर्णय करने वाला नही है..
की क्या गलत है,क्या सही है..।।

खुद के अंदर झांके..
और अपने साथ जो बुरा कर रहे है,
उसे छोड़ने की कोशिश करें..।।

ये बहुत कठिन प्रक्रिया है,क्योंकि पहले तो आप स्वीकार ही नही करोगे की मैं गलत कर रहा हूँ,दूसरा अगर पता चल भी गया तो आप क्या करोगे..
क्योंकि आपको समझ मे ही नही आएगा कि करना क्या है..।।

करना बस ये ही कि सिर्फ अपनी गलतियों को देखें, और उन गलतियों के कारण को ढूंढें.. समाधान मिल जाएगा..।।


सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

मुस्कुराना क्यों जरूरी है..

क्या आपको पता है..
इस धरा पर मनुष्य ही एक ऐसा जीव है,जो मुस्कुरा😊 सकता है..और अपने मुस्कान को बिखेर सकता है..।।



हम ज्यों-ज्यों बड़े होते है..त्यों-त्यों हमारी मुस्कान गायब होती जाती है.. क्यों..??
सोचिएगा..

क्या आपको पता है..
हम जब भी मुस्कुराते है..
तो हमारे जीवन मे शारीरिक,मानसिक और सामाजिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव आते है..।।

शारीरिक स्तर पर मुस्कुराने से-
• तनाव कम होता है..
• रक्तचाप नियंत्रित रहता है..
•रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है..

मानसिक स्तर पर मुस्कुराने से-
आत्मविश्वास बढ़ाता है..
•अवसाद से लड़ने में मदद करता है..
• मुड़ को बेहतर बनाता है..

सामाजिक स्तर पर मुस्कुराने से-
• दूसरों से नजदीकी बढ़ाने में मदद करता है..
• दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है..
• आकर्षक बनाता है..

इतने सारे फायदे है.. 
सिर्फ मुस्कुराने से..

अब तो वैज्ञानिकों ने भी अपने शोध से सत्यापित कर दिया है कि मुस्कुराने से क्या होता है..

1. जब भी हम मुस्कुराते है तब हमारे मस्तिष्क में एंडोर्फिन हार्मोन का स्तर 20% बढ़ जाता है,जो दर्द और तनाव से लड़ने में मदद करता है..।।

2.डोपामिन और सेरोटोनिन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है,जो हमें खुशी और बेहतर भावनाओं के बढ़ाने में मदद करता है..।
 
3. जब भी हम मुस्कुराते है तो हमारा रक्तचाप ~5% तक कम हो जाता है..।।

4. एक शोध के अनुसार हमारे मुस्कुराने से इम्युइनोग्लोबिन A का स्तर बढ़ जाता है, जो एक एंटीबॉडी होता है,जो हमें संक्रमण से लड़ने में मदद करता है...।।

इन सब को छोड़िए.. 
आप एक बार मुस्कुराइए😊..
और महसूस कीजिये कि कैसा महसूस हो रहा है..।।

मुस्कुराना प्रकृति की नियति है..
हम जब-जब  मुस्कुराते है,
तब-तब हमारा रोम-रोम पुलकित हो जाता है..।।
तो फिर हम क्यों न मुस्कुराए😊..??

मुस्कुराइए इसलिए कि आपनिक्कमे,आलसी, कामचोर, निर्लज्ज,बेईमान और पृथ्वी पर बोझ ....नही है😊..।।

मुस्कुराइए इसिलिय की आप इंसान है..😊 
अगर नही तो फिर.. 
आप ही निर्णय कीजिये कि आप क्या है..?
अब आप निर्णय कर लिए होंगे..
अगर हाँ, तो मुस्कुराइए..😊


शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

प्यार की पांति..

कैसे बयां करू में प्यार की दास्तां..
तुम्हारी एक झलक देखने को घण्टों
दीवार की ओट में खड़ा होकर बीत जाया करता था..
और पता नही चलता था..

तुम्हारी एक झलक देखने को..
ठंड की सर्द हवाओं में,
यू ही घर से बाहर निकल जाया करता था..

तुम्हारी बस एक झलक देखने को..
मोटर की स्विच ऑन होते ही नलके पे आ जाना…
और तुम्हारी गतिविधियों को देखना बहुत ही सुकुन देता था..

बस तुम्हारी एक झलक देखने को..
थोड़ी भी सरसराहट होते ही..
खिड़की से झांकने को मजबूर हो जाता था..
बस तुम्हारी एक झलक देखने को..।।

शायद तुम्हें कभी पता नही चलेगा..
की कितना प्यारा करता हूँ मैं तुम्हें..
क्योंकि तुम बरगद के वृक्ष के समान हो,
और मैं एक प्रवासी पक्षी के समान हूँ..।।

मैं भूल गया था..
अपना आशियाना..
गलती से तुम्हें ही अपना आशियाना बनाने का 
सपना देखने लगा था..
सपना तो सपना ही होता है..।
इसिलिय तुम्हें कभी पता नही चलेगा..
की कितना प्यार करता हूँ तुम्हें..।।

तुम्हें एक झलक देखने को..




गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

मुस्कुराते😊 रहें..क्योंकि..??

दो पेड़ थे एक हरेभरे और एक सूखे..
जब भी कोई चिड़िया थक हारकर आती वो पहले सूखे पेड़ पर आकर रुकती और थोड़ी देर बाद हरे-भरे पेड़ पे चली जाती..।।
क्यों..??
ये सबको पता है..।।

हमसब लोगों के साथ आज यही हो रहा है..
हमसब पेड़ है..
और वो चिड़िया, हमारे चाहने और जानने वाले है..।।

अब निर्णय हमें करना है कि हम परिस्थितियों से कैसे निपटते है, अगर विपरीत परिस्थितियों के कारण हताश और उदास हो गये तो आपके चाहने और जानने वाले आपसे दूरियां बनाना शुरू कर देंगे..।।
वंही अगर आप परिस्थितियों से अच्छे से निपटते है और चेहरे पे एक मंद मुस्कान रखकर बिखेरते है, तो सिर्फ आपके जानने वाले ही नही बल्कि वो भी आपके करीब आएंगे जो आपको नही जानते..।।



निर्णय आपको करना है.. 
उदासी बिखेरना है या फिर मुस्कान..
क्योंकि ये दोनों हमारे हाथ मे है..
मगर परिस्थितियां नही..।।

हम अनजाने में ही आज सूखे वृक्ष की तरह व्यवहार करना शुरू कर दिए है,और हमें पता भी नही चल रहा है..।।
ऐसा नही है कि इससे निपटा नही जा सकता..
- सबसे पहले तो अपने भावनाओं को नियंत्रण में रखें..
                वर्तमान में बड़ा दूभर कार्य है..
- अपने समस्याओं को खुद तक सीमित रखकर दूसरों को आभास न होने दे..
- अगर आप कुछ अच्छा कर रहें है,तो करके भूल जाये,उसकी चर्चा न करें..
- और अंत मे हरेक परिस्थितियों में मुस्कुराते😊 रहे..
क्योंकि आपके मुस्कुराने 😊 से दूसरों के चेहरे पे भी मुस्कान आती है...।।