रविवार, 11 फ़रवरी 2024

अगर जिंदा रहना है तो संघर्ष करना ही होगा..

वसुधा का नेता कौन हुआ..??
भूखंड विजेता कौन हुआ..??
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ..??
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ..??
जिसने ना कभी आराम किया..
बाधा विध्नों में रहकर काम किया..।।

गीता में श्रीकृष्ण कहते है-

"न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् ।

 कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः "

अर्थ- निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता, क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणों द्वारा कर्म करने के लिए बाध्य है..।।



क्या आपके आस-पास कोई भी जीव-जंतु,पेड़-पौधा है,जो कर्म से वंचित है..??

यह अलग बात है कि कोई थोड़ा तो कोई ज्यादा कर रहा होगा,मगर कर्म सबको करना ही है..।

इस ब्रह्मण्ड का जो भी हिस्सा है,वो कर्म से विमुख नही हो सकता..

मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो अपने कर्म से विमुख होना चाहता है.. क्योंकि उसे अपने लक्ष्य का पता ही नही है..।।

और ये जो कर्म है यही संघर्ष है,और जो संघर्ष है वही जीवन है..

हमारा संघर्ष जितना बड़ा होगा,हमारी उपलब्धि भी उतनी ही बड़ी होगी.. बशर्ते हमारा संघर्ष सही दिशा में है..।।

आप अपने आसपास देखें, दरसल हमारे पास समय कंहा है.. स्मार्टफोन से नजर हटाने को..😊

सबसे मजबूत पेड़ कौन होते है..पता है आपको..??  जो मैदानी क्षेत्र में उगते है या फिर पर्वतों,पठारों पे..??

जब संघर्ष करते हुए उदास या हताश हो जाये तो अपने आसपास देखें.. तो पाएंगे कि आपसे भी ज्यादा संघर्ष दूसरों के जिंदगी में है..मगर वो हताश नही है.. क्योंकि उन्हें अपना लक्ष्य पता है..

क्या आपको अपना लक्ष्य पता है..??

अगर हां..तो आपको अपने इस संघर्ष में भी खुशी की अनुभूति होगी..



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