हमसब बुरे है..
ये बात अलग है कि कोई थोड़ा ज्यादा तो कोई थोड़ा कम है..
मगर हम सब बुरे है..।।
मगर कैसे..??
इसका बीजारोपण बचपन से ही शुरू हो जाता है..
• हमें सबसे पहले जो नैतिक गुण सिखाया जाता है वो है..
सच बोलना..
मगर क्या आपको पता है.. हमारी सबसे पहली बुराई की शुरुआत झूठ बोलने से ही होती है.. क्यों..??
क्योंकि सच बोलने पर पिटाई पड़ती थी..और पिटाई से बचने के लिए हम झूठ बोलना शुरू कर देते है..
और ये आदत हमारे जिंदगी का हिस्सा बन जाता है..
और हम अभी भी झूठ बोलते है..
वो अलग बात है कि हमारे झूठ से किसी का नुकसान नही होता
(इस तरह के झूठ बोलने वालों की संख्या80% है)
• हमारी दूसरी बुराई है..चोरी करना..
हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि चोरी करना पाप..
मगर हम करते है..
बचपन मे भूख मिटाने से शुरू होती है..
और ज्यों-ज्यो बड़े होते है जरूरत के अनुसार स्वरूप बदलता जाता है..
(एक सर्वेक्षण के अनुसार ~60% लोग को अगर मौका मिले तो वो अवश्य अवसर का लाभ उठाएंगे..हमसबने कभी-न-कभी उठाया ही होगा)
•हमारी तीसरी बुराई हमारा स्वार्थ है..
और इसका भी शुरुआत बचपन से ही हो जाता है..
भले हमसबको याद न हो..
मगर हमसब ने पहली लड़ाई अपने भाई-बहन,या फिर मित्रो से स्वार्थ के कारण किया होगा..
किसी खाने-पीने चीज के कारण या खिलौने के कारण..।।
•हमारी चौथी बुराई हमारा क्रोध है..
इसका भी बीजारोपण बचपन मे ही हो जाता है..
क्या आपको याद है आपको पहली बार गुस्सा कब आया था,या आखरी बार..(~80% को याद नही होगा)
मगर सबसे ज्यादा गुस्सा कब-कब आया था ये अक्सरहाँ लोग को याद होगा(अगर आप इस श्रेणी में है तो मुस्कुराए😊)
•हमारी पांचवी बुराई हमारी "काम"(ऊर्जा)है..
जो हमारे बढ़ते उम्र के साथ हावी होते जाता है..
क्योंकि इसके इस्तेमाल के बारे में हमें बताया नही जाता कि इस ऊर्जा का इस्तेमाल कैसे करें..।।
ये ऊर्जा हमेशा दो दिशाओं में प्रवाहित होती है..
1. धनात्मक(पॉजिटिव) 2.ऋणात्मक(नेगेटिव)
और ये ऊर्जा इतनी शक्तिशाली है कि इसका झुकाव जिस तरफ होता है,उस तरफ के हरेक चीज को खुद में समाहित कर लेता है..।।
मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि 98% लोगों ने इस ऊर्जा के साथ सामंजस्य बैठा लिया है..
उनमें नेगेटिव और पॉजिटिव ऊर्जा का बैलेंस बना हुआ है..
•आप जितने भी सफल व्यक्तिव को जानते है उन्होंने अपना ऊर्जा का सही से इस्तेमाल किया है..
•आप जितने भी बुरे व्यक्तित्व को जानते है उन्होंने नेगेटिव ऊर्जा का इस्तेमाल किया है..
ये अलग बात है कि वो उस ऊंचाई पे पहुंच नही पाते क्योंकि वो इस ऊर्जा को संभाल नही पाते..।।
अच्छा अब आप बताए कि आप अच्छे है या बुरे..
सच कहूँ तो हम न ही अच्छे है,न ही बुरे ..
हम में से अधिकांश लोग पेंडुलम की तरह झूल रहे है..
कभी अच्छाई के तरफ तो कभी बुराई के तरफ...
और हम उसे बैलेंस करने में लग जाते है..
और ताउम्र ऐसे ही गुजर जाता है..
और हम न ही अच्छे बन पाते है,और न ही बुरे..।।
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