शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

निंदा रस

भरतमुनि को जानते है..??
भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र की रचना लगभग 200 ईसा पूर्व के आसपास की थी..
और अपने इस रचना में 9 रस की चर्चा की..
1.श्रृंगार रस        2.हास्य रस    3.करुणा रस
4.वीर रस           5. रौद्र रस     6.भयानक रस
7.विभत्स रस      8.अद्भुत रस   9.शांत रस



मगर उन्होंने एक रस को छोड़ दिया, या फिर हो सकता है वर्तमान समय मे उनके शब्दों का हम कोई और अर्थ समझ रहे हो....।
जो वर्तमान में ही नही बल्कि प्राचीनकाल में भी बड़ा रस रहा होगा उसमें..
और वो रस है 'निंदा रस"


हम मनुष्यों को किसी का निंदा करने में उतना ही रस मिलता है,जितना किसी की निंदा सुनने में..

आप कभी गौर कीजियेगा..
जब कोई किसी की निंदा/शिकायत कर रहा हो,
तो आपको कैसा महसूस होता है..??
अवश्य ही आपको अच्छा ही महसूस होगा..।।

अगर हमें एक अच्छा इंसान बनना है तो..
हमें सिर्फ किसी की निंदा करने से ही नही...
बल्कि किसी की निंदा सुनने से भी बचना चाहिये..।।
क्योंकि..
हमें किसी की निंदा करने का कोई अधिकार नही है
क्योंकि हम हमेशा ही वास्तिवकता से अनभिज्ञ रहते है..।।

हरेक सिक्के के दो पहलू होते है..
और हम हमेशा उसी पहलू को जानते है,
जिसे हम पसंद करते है..।।



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