अगर हम जिंदगी के इस दौड़ में नही भागे..
तो क्या होगा..??
जरा सोचिए🤔
या तो रौंद दिए जाएंगे,या फिर जिंदगी के इस दौड़ में पीछे रह जाएंगे..।।
और क्या हो सकता है..???
हम सब भाग ही रहे है..
कोई इस दौड़ में जीत रहा है,तो कोई हार रहा है,तो कोई हार कर इस दौड़ से ही बाहर हो जा रहा है..।।
वो कायर है जो जिंदगी के दौड़ में हारकर,दौड़ से बाहर हो रहे है या होने की सोचते है..।।
हमारे हाथ मे हार और जीत नही है..
मगर हमारे हाथ मे कुछ चीजें है..
जो हमें जिंदगी के दौड़ में औरों से आगे ले जा सकता है..
•हम अपने ट्रेक का चयन खुद कर सकते है..
हमें ये निर्णय लेने का अधिकार है कि हम 100मीटर का दौड़ दौड़े या फिर 400मीटर का या फिर मैराथन..
-हममें से अक्सरहाँ लोग आज 100मीटर की दौड़ दौड़ने में
लगे हुए है..क्योंकि सबको सफलता जल्दी चाहिए..
किसी को मिल जाती है किसीको नही मिलती..
जिसे मिल जाती है वो किसी चकाचौंध में खो जाता है,
जिसे नही मिलता वो किसी गुमनामी में खो जाता है..
हम अपना क्षमता को जाने ही..
सीधे दौड़ना शुरू कर देते है..
बिना ये जाने की क्या...
इसके लिए में योग्य हूँ,
या फिर ये मेरे लिए योग्य है..
सबसे पहले हमें अपनी क्षमता को जानना होगा..
उसी के अनुसार ट्रैक का चयन करना होगा..
इस धरा पे जो भी है सब क्षमतावान है..
हम अपनी क्षमता का इस्तेमाल कैसे करते है..
ये बहुत महत्वपूर्ण है...।।
•हममें से कुछ ही लोग होते है जो मैराथन ट्रैक का चयन करते है..और उनमें से कुछ ही लोग अपने मंजिल तक पहुंच पाते है..
जो पहुंच जाते है उन्हें दुनिया याद रखती है..
जो नही पहुंच पाते वो खुश रहते है..
मगर वास्तविकता ये है कि हम सबको मैराथन का हिस्सा होना ही होगा..
आप चाहे कुछ भी कर लो..
आपको मैराथन के इस ट्रैक पे दौड़ना ही होगा..
आपके पास ये आजादी है कि आप खुद ट्रैक की सीमा निर्धारित कर सकते है..
जिंदगी एक दौड़ है..
दौड़ना ही होगा.
न जीत के लिए..
न हार के लिए,
जीने के लिए दौड़ना ही होगा..।
जिंदगी एक दौड़ है,
दौड़ना ही होगा..
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