हमें अपनी कहानियां खुद ही लिखना होता है..
जिस तरह मकड़ियों को अपनी जालियां खुद ही बुनना होता है..।
हमें खुद ही अपनी मंजिल ढूंढने के लिए जदोजहद करना होता है..
जिस तरह नदियां को अपनी मंजिल ढूंढने के लिए पर्वतों को चीरना होता है...।।
हमें खुद ही अपना रास्ता बनाना होता है..
जिस तरह पानी की धारा अपना रास्ता बनाता है..।
हमें खुद ही निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए, हरेक परिस्थितियों में मुस्कुराना होता है..
जिस तरह प्रकृति हरेक परिस्थितियों में मुस्कुराती रहती है..।
हमें खुद ही स्वयं को तराशना होता है..
जिस तरह गंडकी के पत्थर स्वयं को तराशकर पूजित होता है...
हमें खुद ही अपनी कहानियां लिखना होता है..
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