यात्राएं सिर्फ जीवन का ही नही, बल्कि पूरी दुनिया की दिशा तय करता है..।
दुनिया में जितने भी बदलाव हुए उसकी शुरुआत एक छोटी या बड़ी यात्रा से ही हुई..।।
आज से ~600 ईसा पूर्व एक यात्रा का शुरुआत हुआ था जिसने पूरे विश्व को बदल दिया अपने "अहिंसा"के पैगाम से..वो पैगाम लेकर के आये जैन धर्म के 24वे तीर्थंकर "महावीर" उनका जन्म बिहार के वैशाली(कुण्डलग्राम) में हुआ था..
"कल्पसूत्र"में कहा गया है कि वो माँ के गर्भ में भी शांत और स्थिर रहते थे,ताकि माँ को कोई तकलीफ न हो..।
महावीर अपने उपदेश में सिर्फ अहिंसा पर ही बल नही देते बल्कि दुनिया के प्रति करुणा की दृष्टि रखने पर बल देते है..क्योंकि बिना करुणा के अहिंसा का भाव जागृत नही हो सकता..
आज पूरा विश्व वैमनस्य और हिंसा से भरा हुआ है..
ऐसी परिस्थिति में महावीर का अहिंसा का भाव ही लोगों को इस दलदल से उबार सकता है..।।
वर्धमान से महावीर बनने की यात्रा की शुरुआत बाल्यकाल में ही, हो गया था वो अक्सरहाँ अपने माँ के साथ पूजा करने के लिए बैठते थे..माँ पूजा करके उठ जाती थी और वो बैठे ही रहते थे..ये सिलसिला सिर्फ घर मे ही नही बल्कि जब भी वो अकेले होते तो वो ध्यानमग्न होकर बैठे जाते..।
माता-पिता के अंदर डर पैदा हुआ..कंही पुत्र संन्यासी न हो जाये..ये डर सही निकला जब वो 15 साल के थे तब वो अपने माता-पिता से कहें कि मुझे सन्यास लेना है..
माँ ने रोना-धोना शुरू कर दिया..फिर माता-पिता ने कहा- जब हम शरीर त्याग देंगे तब तुम संन्यास धारण कर लेना..
माता-पिता के शरीर त्यागने के ठीक 13वे दिन 30 साल के उम्र में वो, अपने बड़े भाई नंदिवर्धन से अनुमति लेकर गृहत्याग किये..
और 12 वर्ष की कठिन तपस्या के पश्चात ऋजुपालिका नदी के किनारे और साल वृक्ष के नीचे उन्होंने "कैवल्य" की प्राप्ति की..
इस 12 वर्ष की तपस्चर्या ने उन्हें महावीर बना दिया..।
इन्होंने पहला उपदेश वितुलाचल की पहाड़ी(राजगीर) पर दिए..।
मगर आज तक ना ही महावीर को और, ना ही जैन धर्म के सिद्धांत को अभी तक पूर्णतया समझा गया है..
क्योंकि महावीर को समझने के लिए आपको मनोचिकित्सक बनना होगा..
★जैन धर्म के त्रिरत्न-
¡. सम्यक ध्यान
¡¡. सम्यक ज्ञान
¡¡¡. सम्यक चरित्र
★ जैन धर्म के पांच महाव्रत
¡. अहिंसा (मन,कर्म, वचन से कष्ट न देना)
¡¡. अचौर्य/अस्तेय(चोरी न करना)
¡¡¡.अमृषा(असत्य)
¡V. अपरिग्रह(जरूरत से ज्यादा न संग्रह)
V. ब्रह्मचर्य (ब्रह्म का आचरण)
जैन धर्म का "स्यादवाद" का सिद्धांत - वर्तमान में हरेक समस्या का समाधान है..
ये सिद्धान्त कहता है कि कोई भी गलत नही है सब सही है... परिस्थिति,काल और परिवेश के अनुसार..।।
आज हरेक समस्या का तो यही जड़ है कि कौन सही है..??स्यादवाद का सिद्धांत हमे समाधान देता है..
आपने 3 अंधे और एक हाथी की कहानी सुना होगा..
1 अंधा जब हाथी का पाँव छूता है तो कहता है कि ये पेड़ की तरह है..
2रा अंधा जब हाथी के पूंछ को छूता है तो कहता है कि ये रस्सी की तरह है..
3रा अंधा जब हाथी के सूढ़ को छूता है तो कहता है कि ये तो सांप की तरह है...
तीनों अंधे सही है अपने-अपने अनुसार,यही है स्यादवाद का सिद्धांत..।।
आज समय आ गया है कि हम फिर से महावीर को समझे..
जैन धर्म के सिद्धांतों को समझे..।।
आज विश्व के हरेक समस्याओं का समाधान "स्यादवाद" और "अनेकान्तवाद" के सिद्धांत में छुपा हुआ है..।।
हम फिर से महावीर की यात्रा को अनुसरण करें..
क्योंकि यात्रा सिर्फ जीवन ही नही, बल्कि विश्व की दिशा और दशा भी बदलती है..
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