क्यों..??
जब मन की गहराइयों में गौता लगाया तो पता चला..
आज शाम तक जिससे मिलें थे..
शायद फिर उनसे कभी मुलाकात न हो..
क्योंकि पिछले एक महीने से अनवरत चलने वाला हमारा एक्यूप्रेशर का क्लास आज समाप्त हो गया..।
निर्मल मन वाली हमारी निर्मला गुरु माँ की मुस्कान और ज्ञान अब दुर्लभ हो जाएगा..।
प्रशांत सर् ,सुनील सर् एवं अन्य सरों का सेवाभाव का लुत्फ अब नही उठा पाऊंगा..।।
हमारे कुछ गुरु भाई(60+)
जो मेरे प्रेरणा के स्रोत बने उनसे शायद फिर कभी मुलाकात न हो पाए..
आज के युवा हताश और निराश है..
जबकि वो लोग इस उम्र में भी जोश और जुनून से लबरेज है..।।
जिसने मुझे एक नया नजरिया दिया(श्रीकांत सर्,बालकृष्ण सर्, वाडेरकर सर् नामदेव सर् )
उन्होंने हमें सिखाया की, सीखने की कोई उम्र नही होता..
फिर से शुरुआत करने का कोई सु-समय नही होता..
जिंदगी में उदास होने का कोई कारण नही होता..
अगर कुछ होता है..
तो वो आलस्य और अकर्मण्यता के सिवा और कुछ नही होता..।।
और कई मुस्कुराते हुए चेहरे मेरे जेहन में है..
खासकर मेरी मातये एवं बहनों की..
उनलोगों के मौजदूगी से मानो फिर से मातृत्व स्नेह का गंगा स्नान किया हो..।।
कहते है दुनिया बहुत छोटी है..
साथ ही गोल है..
फिर कंही-न-कंही
लुढ़कते-ढुलकते मिल ही जायेंगें..
और मिलते ही सारी यादें फिर से ताजा हो जाएगा..।।
"सबको जय भगवान.."
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