मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

पोप फ्रांसिस की जीवन-यात्रा..

"हम मृत्यु नही, जीवन के लिए बने है.." पोप फ्रांसिस ने मरने से पहले दुनिया को ये आखरी संदेश दिया था..। 


हममें से बहुत बड़ी आबादी पोप फ्रांसिस को नही जानते होंगे..??
क्योंकि वो एक सेलेब्रिटी या राजनेता नही थे..
जिस तरह हिंदू धर्म के प्रमुख शंकराचार्य होते है और बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा होते है..
इसी तरह पोप फ्रांसिस कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु थे..।।

पोप फ्रांसिस पहले गैर-यूरोपीय पोप बने...
इनका जन्म अर्जेटीना की राजधानी बीयूनर्स आयर्स में हुआ..
जॉर्ज मारियो बरगोगिल्यो(असली नाम) पादरी बनने से पहले अर्जेटीना के एक नाईट क्लब में बाउंसर का काम करते थे..
फिर उन्होंने एक केमिकल लैब में काम करना शुरू किया..
फिर उन्होंने अर्जेटीना के कॉलेज में साहित्य और मनोविज्ञान के शिक्षक के रूप में पढ़ाया..
उन्होंने 21 के उम्र में जेसुइट समुदाय से जुड़े..फिर अर्जेटीना में ही पादरी बन गए..
ये अपने माँ-बाप के साथ इटली आ गए और यही बस गए.
2001 में पॉप जॉन पॉल ii ने उन्हें कार्डिनल बनाया..और
2013 में 266वे पॉप की उपाधि दी गई..।

मैं आज से पहले इनसे उतना वाकिफ नही था..बस इनके मौन मुस्कान का कायल था..
जब भी कभी अखबार या टेलिविज़न पे देखता तो इन्हें मुस्कुराते देख बस मैं भी मुस्कुरा दिया करता था..।।

इनके व्यक्तित्व पे इनके जीवन का गहरा छाप था..
हम अक्सरहाँ हार जाते है..
मगर इनका जीवन यात्रा बताता है कि हार मानना गुनाह है..
क्योंकि भविष्य के गर्भ में क्या छुपा है कोई नही जानता..

एक नाईट क्लब का बाउंसर, पोप बनकर पहली बार रोम की जेल में कैद महिलाओं का पाँव धोता है..।।(परंपरा के अनुसार पोप ईस्टर से पहले गरीबों का पाँव धोते है)इन दोनों घटना को जोड़ने की कोशिश कीजिये..।।



पोप होने के नाते उन्हें भव्य अपोस्टोलिक पैलेस में रहना था, मगर उन्होंने साधारण गेस्ट हाउस को चुना..।



पोप बनने पर 'रिंग ऑफ द फिशरमैन' पहनाते है,ये सोने की रिंग शक्ति का प्रतीक होता है..मगर उन्होंने चांदी का रिंग पहना..।

•जब वो आर्कबिशप थे, तो उन्होंने कभी महंगी गाड़ियां में  नही बैठे।हमेशा पब्लिक बस और मेट्रो से सफर करते थे..
पोप बनने के बाद भी वो बस से सफर करते थे..
(एक हमारे यंहा के भी संत लोग है..)

•वो अक्सरहाँ लोगों की मदद करने के लिए रात में निकल जाया करते थे..जिससे किसी को पता न चले..।।
(आज हम किसी की मदद करने से पहले सेल्फी लेते है)

उनकी जीवनयात्रा प्रेरणादायी है..
कंहा नाईट क्लब के बाउंसर(गार्ड) से वो कैथोलिक ईसाई के प्रमुख धर्म गुरु बने..।।
धैर्य रखें,और आगे बढ़ते रहें, और उस परमात्मा पे विश्वास रखें.. क्या पता किस मोड़ पे सफलता बाहें फैलाकर आपका इंतजार कर रहा हो..।

आज दुनिया की अधिकांश आबादी उदासी में डूबती जा रही है, और उस उदासी को दूर करने के लिए वो जिसका सहारा ले रही है..वो उसे और गहरे उदासी में धकेल रही है..।
ऐसे समय मे पॉप फ्रांसिस का अंतिम संदेश को याद करें-
" हम मृत्यु के लिए नही,जीवन के लिए बने है।।"



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