तो थोड़ा रुक जाओ..
ना कि रुक कर वहीं रह जाओ..
बल्कि वंहा से आगे बढ़ जाओ..
कौन हैं यंहा..
जो थका हुआ है..
कौन है यंहा..
जो रुका हुआ है..
यंहा कोई नही..
जो थका हुआ है..
यंहा कोई नही
जो रुका हुआ है..
जो यंहा रुक गया,
जो यंहा थक गया..
फिर उसका कंहा अस्तित्व रहा..
सर् उठा के आसमां की और देखो..
चांद तारे दिख रहे है, इसलिए..
क्योंकि वो थके नही है..
अपने आसपास देखो..
जो दिख रहे है..
वो इसलिए दिख रहे है..
क्योंकि वो थके नही है..।
ये ब्रह्मांड सिर्फ उसे ही स्वीकारता है..
जो थका नही है..
जो थक गया है..
उसे ब्रह्मांड भी नही स्वीकारता है..।।
इसीलिए जबतुम थक जाओ..
तो थोड़ा रुक जाओ..
ना कि रुक कर वंही रह जाओ..
बल्कि वंहा से आगे बढ़ जाओ..।।
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