रविवार, 25 मई 2025

गमले का फूल..

मैं जैसा हूँ..
मुझे वैसा ही रहने दो..
मुझे मत छेड़ो..
तुम्हें लग रहा होगा कि,तुम मेरी मदद कर रहे हो..
मगर वास्तविकता तो ये है कि..
तुम मुझे कमजोर कर रहे हो..।
मैं जैसे खिल रहा हूँ,
मुझे वैसे ही खिलने दो..।।


तुम मुझे सींचो..
तुम मेरे आसपास से खरपतवार हटाओ..।
बस यही करो..
मगर जब तुम नही रहोगे...
तब क्या होगा..??
कौन सींचेगा..कौन खरपतवार हटाएगा..??

अगर जब तुम मुझे छोड़ के जाओगे..
तब तुम मेरे साथ क्या करोगे..।
किसी और के भरोसे छोड़ के जाओगे..
या फिर किसी को गोद दे के चले जाओगे..
या फिर अपने हाथों से दरिया या फिर मिट्टी में दफन कर जाओगे..
या फिर यू ही कड़कती धूप में तिल-तिल के मरने को छोड़ जाओगे..।।

जब कभी भी ग़र छोड़ के जाना हो..
तो मुझे मानसून की बूंदा-बांदी में छोड़ के जाना..
ये बारिश की बूंद जब मेरे पत्तियों और फूलों पे गिरेंगे..
तो मैं उत्साहित होऊंगा..
और मैं तुम्हें भूल जाऊंगा..।।
फिर जब कुछ महीनों बाद जब बारिश खत्म होगी और कड़कती धूप निकलेगी..
तो मुझे पानी की जरूरत होगी..
और मैं तुम्हें याद करूँगा..
और मुझे,मेरी गलतियों का अहसास होगा..
और मैं मुस्कुराउंगा और तुम्हें दुआएं दूंगा..।।

मैं जैसा हूँ..
मुझे वैसा ही रहने दो..
मुझे मत छेड़ो..
तुम्हें लग रहा होगा कि,तुम मेरी मदद कर रहे हो..
मगर वास्तविकता तो ये है कि..
तुम मुझे कमजोर कर रहे हो..।
मैं जैसे खिल रहा हूँ,
मुझे वैसे ही खिलने दो..।।

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