जिन्हें सिर्फ दूसरों की कमियां ही दिखती है..।
ये कौन लोग है..??
आप इन्हें किस नजर से देखते है..??
इस श्रेणी में दो तरह के लोग आते है..
पहले श्रेणी में वो लोग है जो आपके सामने ही आपकी कमियों को उजागर करते है..।
दूसरे श्रेणी में वो लोग है,जो पीठ पीछे आपके कमियों का मजाक उड़ाते है..।
जब आप युवा हो रहे होंगे तो आपको इन दोनों श्रेणियों के लोगों के प्रति आक्रोश और नफरत हो सकता है..।
मगर जब आप प्रौढ़ हो जायेंगें तब आप पहले श्रेणी वालों की कद्र करेंगे और दूसरे श्रेणी वालों की परवाह नही करेंगे..।
मगर अफसोस पहले श्रेणी वालों से हम शुरुआत में ही इतनी दूरियां बना लेते है कि वो हमारी कमियों को देखते हुए भी अनदेखा करने लगते है..।
कबीर दास जी कहते है-
"निदंक नियरे राखिये,आंगन कुटी छवाय,
बिन पानी,साबुन बिना,निर्मल करे सुभाय ।।"
मगर वर्तमान में सिर्फ हम आप ही नही,बल्कि प्राचीन काल से ही, हम ऐसे लोगों के प्रति विद्रोही धारणा बना लेते है,जो हमारी निंदा करते है..।
अब वो समय नही, की लोग आपको सामने से निंदा करें..
क्योंकि प्रथम श्रेणी वाले लोग अब डरे हुए है..
क्योंकि उन्हें डर है कि, निंदा या कमियां निकालने पर आगे वाला व्यक्ति कोई गलत कदम न उठा ले..।।
"निंदा अक्सरहाँ हमे जीवन के नींद से जगाने का कार्य करता है,
मगर अफसोस नींद हमें इतनी प्यारी है कि,
हम निंदा करने वालों को अनदेखा कर उनसे मुँह फेर लेते है..।"
इसका क्या परिणाम होता है..??
आप सोचिये..??
सुबह स्कूल/कॉलेज/मीटिंग में जाना हो और आपको कोई उठाने आये और आप उसे झकझोर दे और कहें मुझे अभी नही उठना...
अब आगे क्या होगा..??
निंदा भी जीवन में इसी तरह से काम करता है..
अगर आगे से कोई आपकी निंदा या कमियां गिनाए तो मुस्कुराइए और उन्हें धन्यवाद दीजिये और उन कमियों को दूर कीजिये..।।
और अपने आप को भाग्यवान समझिए कि,
कोई तो है जो आपकी परवाह कर रहा है..।।
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