रविवार, 31 दिसंबर 2023

क्या हम अव्यवहारिक और चरित्रहीन होते जा रहे है..

सबसे पहले तो हमें व्यवहार और चरित्र में क्या अंतर है वो जान लेना जरूरी है...
क्योंकि हम अक्सरहाँ दोनों को समानार्थी ही समझ लेते है..
इसमें उतना ही अंतर है जितना नदी और समुन्द्र में..
हमारा व्यवहार अगर नदी है,तो हमारा चरित्र समुन्द्र है..।।



व्यवहार वो है जो हम दूसरों के साथ करते है..
और चरित्र वो है जो हम अकेले में खुद के साथ करते है..।।

वर्तमान समय मे दोनों का ही पतन होते जा रहा है..
क्यों🤔..??
कारण पता है आपको..?? अगर हां तो बताइएगा..🙂

वर्तमान में सबसे बड़ा कारण जो है...
वोआपके हाथ में है..😊
आप अपने समार्टफोन पे क्या देखते है,क्या सुनते है उसका प्रभाव आपके व्यवहार और चरित्र पर गहरा असर पड़ रहा है..
इतना कि लोग अपने रिस्तेदार की हत्या तक करने में नही सकुचाते..।।

इसका ये मतलब नही की आप स्मार्टफोन इस्तेमाल करना छोड़ दे..
आज स्मार्टफोन रोजमर्रा की जरूरत हो गई है..।।
तो क्या करें..??
बस आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करें,
न कि स्मार्टफोन आपका इस्तेमाल करें..।

स्मार्टफोन पे समय बिताने से पहले खुद से पूछे..
इससे हमें क्या मिलेगा..??

हां तो हम कंहा थे...😀
व्यवहार और चरित्र की बात कर रहें थे..
मूलतः ये हमारे व्यक्तिगत,सामाजिक और पर्यावरणीय परिवेश पे भी निर्भर करता है..।।

व्यक्तिगत स्तर पर आप क्या करते है,क्या पढ़ते है,क्या देखते है..ये सब आते है...ये सब आपके हाथ मे है,आप इसमें सुधार कर सकते है..।।

सामाजिक स्तर पर आपके मित्र कैसे है,आप कैसे समूह में रहते है,किस तरह के काम करते है..ये सभी हमारे चरित्र और व्यवहार को प्रभावित करते है..।।
इसमें भी सुधार की गुंजाइश है..।।

पर्यावरण का भी हमारे चरित्र और व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है..इसिलिय आपको जितने भी आक्रामक जनजातियां मिलेगी वो सभी विषुवत, मकर या कर्क रेखा के आसपास मिलेंगे..
इसिलिय आप देखेंगे कि जो धुरवीय(polar)प्रदेश है वो बहुत शांत है..।।
- अगर आप इसिहास पलटेंगे तो देखेंगे कि जितने भी विद्वान और महानतम व्यक्तित्व हुए उनके जीवन मे पर्यावरण का महत्वपूर्ण योगदान रहा..
-आज भी अगर गौर करें तो आपको पता चल जाएगा कि नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले कौन लोग है..??
 ये लोग किस तरह के माहौल में पले-बढ़े..।।

मगर अपवाद हरेक जगह होता है..मगर जंहा भी अपवाद होता है,वंहा पर्यावरण उनके अनुकूल होता है..।।

हम अपने चरित्र और व्यवहार को अच्छा कैसे करें...??
ये अच्छा अवसर है क्योंकि कल कैलन्डर भी बदलेगा..
और एक नया अवसर होगा..
अपने जिंदगी में बदलाव लाने का..
1. सबसे पहले अपने मोबाइल से उन सभी app को डिलीट करें जो आपका समय नही आपका व्यक्तित्व खा रहा है..।।

2. उन सभी लोगों से दूरियां बनाये जो आपके समय के साथ आपके चरित्र और व्यक्तित्व को मलिन करने में सहयोग कर रहे है..।।(ऐसे लोगों की पहचान कैसे करें..??साधारण है अगर वो दूसरों की शिकायत और आपकी प्रसंशा कर रहे है तो सावधान हो जाये)

3. अगर आपका परिवेश खराब है तो उसे बदलने की कोशिश करें या फिर उस परिवेश में अपने लिए एक दीवार बना ले..।।

4. अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण ये है कि आध्यात्मिक (spiritual) बनें.. सारे समस्याओं का हल हो जाएगा।।
  अध्यात्म है क्या..??
आत्मा का अध्ययन ही अध्यात्म है..
 अकेले बैठे जाए शांत चिंत..काफी है।।

तो क्या आप तैयार है,नव-वर्ष में अपने व्यवहार और चरित्र को सुदृढ़ बनाने के लिए..??

नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं..💐💐
हम सब स्वस्थ💪 और खुश😀 रहें..।।

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

उधम सिंह..नाम तो सुना ही होगा...

आखिर वो क्या चीज थी..जिसने हमारे क्रांतिकारियों को अपने प्राण न्योछावर करने के लिए प्रेरित किया होगा..??
ऐसे अनगिनित देशप्रेमी हुए जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति खुशी-खुशी देश के नाम कर दिया..।।
उन्हीं में से एक का,आज जन्मदिन है..
उनका नाम शेर सिंह/उदय सिंह/उधम सिंह/राम मोहम्मद सिंह आजाद था..न जाने और कई नाम थे इनके..।
मगर दुनिया इन्हें उधम सिंह के नाम से जानती है..।।



आपके लक्ष्य प्राप्ति में आपके सिवा और कोई अवरोधक नही है..।।

उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 में हुआ..
- 3 वर्ष की उम्र में माँ की मृत्यु हो गई...
- 5 वर्ष की उम्र में पिता की मृत्यु हो गई..
- उसके बाद अनाथालय चले गए..
- 13 साल की उम्र में बड़े भाई की निमोनिया से मृत्यु हो गई..
- 17 वर्ष की उम्र में आर्मी की ट्रेनिंग लेना शुरू किया..
जब आर्मी की ट्रेनिंग लेकर वापस आये तो कुछ दिनों बाद जालिवाला हत्याकांड हो गया..


जब इन्हें इस घटना का पता चला तो वंहा पहुंच कर घायलों को पानी और अस्पताल पहुँचाने में सारी रात गुजार दी..।।
अपने सामने मरते हुए लोगों को देखकर इनका मन विचलित हो गया..।।
और इन्होंने अगले ही दिन स्वर्ण मंदिर में स्नान किया और प्रण किया कि इसका बदला में जरूर लूंगा..।।

सचिन सान्याल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि..
इस घटना का समर्थन पंजाब के सिखों ने भी किया,यंही तक नही बल्कि अकाल तख्त में "माइकल ओ डायर" को सम्मानित भी किया गया..।।

             लक्ष्य प्राप्ति का पहला शर्त है -धैर्य

अपने प्रतिशोध का बदला लेने के लिए इन्होंने 2 दशक इंतजार किया..।।
इनके बचपन का नाम शेर सिंह था,अनाथलय में इनका नाम उदय सिंह हो गया..।।
इन्होंने विदेश जाने के लिए डुप्लीकेट पासपोर्ट बनाया जिसपर अपना नाम उधम सिंह रखा..।
ये सबसे पहले भारत से युगांडा गए वंहा कुछ दिनों तक कारपेंटर की नॉकरी की..इसके बाद ब्राजील,मेक्सिको होते हुए अमेरिका पहुंचे वंहा उन्होंने 2 रिवॉल्वर और 1 ऑटोमैटिक पिस्टल खरीदी और भारत लेकर आ गए..
जब वो इंडिया पहुंचे तो यंहा आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार करके सश्रम 5 वर्ष की जेल हुई..

जब जेल में ही थे तब इन्हें अपने आदर्श की मौत की खबर लगी जिनसे इन्होंने लाहौर विश्वविद्यालय में मुलाकात की थी..वो भगत सिंह थे..इस घटना ने उन्हें और व्यथित किया..इनके दूसरे आदर्श लाला लाजपत राय थे..।।

जेल से छूटने के बाद इन्होंने यूरोप की यात्रा की.. और 1934 में लंदन पहुंचे और शुरुआत में शेफर्ड बुश गुरुद्वारा में रहना शुरू किया जंहा उनकी मुलाकात ग़दर आंदोलन के नेता 'राजा महेंद्र प्रताप' से मुलाकात हुई..


इनके क्रांतिकारी विचारों के कारण ब्रिटिश समर्थक गुरुद्वारा प्रबंधक इनसे खफा होने लगे जिसकारण उन्होंने गुरुद्वारा छोड़ दिया..।।

इन्होंने लंदन पहुंचकर रेगनॉल x डायर को ढूंढना शुरू किया पता चला कि इसकी मृत्यु हो गई..
फिर उन्होंने माइकल O डायर के बारे में पता लगाया जो रिटायरमेंट की जिंदगी जी रहा था..इन्होंने इसकी रेकी की ये आसान से इसे इसके घर पर मार सकते थे...
मगर इन्होंने 13 मार्च 1940 का दिन चुना, जिस रोज ये केस्टन हॉल में द्वितीय विश्वयुद्ध में मुस्लिमों का अंग्रेज के समर्थन के बारे में बोल रहा था..।।
ये भी वंहा व्यापारी के भेष में पहुंचे और भाषण के दौरान ही अपने रिवॉल्वर से 2 गोलियां माइकल O डायर पे चलाई और उसकी मृत्यु उसी क्षण हो गई और 2 गोलियां जेट लेंड(1919 में भारत का सचिव) के ऊपर मगर भाग्यवश कुर्सी से नीचे गिरने के कारण बच गया,एक गोलियां एक व्यकि के बांह पर तो एक गोलियां एक व्यक्ति के जांघ पर लगी..।।
इनके पास और गोलियां थी मगर तबतक इन्हें पकड़ लिया गया..।।
जब इन्हें पुलिस गिरफ्तार करके ले जा रहा था तो लोगो का कहना है कि वो मुश्कुरा रहे थे..
आखिर क्यों नही मुश्कुराये.. जिस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दो दशक इंतजार किया वो आज पूरा हो रहा था..।।



स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने जब इनसे नाम पूछा तो अपना नाम "राम मोहम्मद सिंह आजाद" बताया क्यों..??
क्योंकि उस समय भारत मे पाकिस्तान की मांग जोड़ों पे थी..उनकी सहादत शायद हिन्दू-मुस्लिम खाइयों को पाटने में कुछ मदद करती..।।
31 जून 1940 को इन्हें फांसी दे दी गई..।।
और वो खुशी-खुशी अपने मौत का आलीगं करके पूरे भारतभूमि को अपना ऋणी बना गए..।।

भारत सरकार द्वारा इनके अस्थियों को 1974 में लंदन से भारत लाया गया और जालिवाला बाग में इनके अस्थियों को रखा गया ये सोचकर कि वे अब शांति से सो सके...।।


       लक्ष्य अगर पवित्र हो तो प्राप्ति होती ही है..



सोमवार, 25 दिसंबर 2023

हम क्रिसमस क्यों मनाते है..??

बचपन में मेरे लिए 25 दिसंबर का मतलब छुट्टी होता था..और इसे बड़ा दिन कहा जाता था..क्यों..??
 ढेर सारे सवाल थे..
•25 दिसंबर को छूट्टी क्यों होती थी..??
•इसे बड़ा दिन क्यों कहते थे..??
•🌲क्रिसमस ट्री क्या है..??
•सांता क्लॉज कौन है..??
ढेर सारे सवाल थे..
क्योंकि में जिस समाज में रहता था वंहा ईसाई नही रहते थे इसिलिय जानकारी का अभाव था..

मगर आज पढ़ने,लिखने और एक बड़ा समाज को देखने के बाद इन सारे सवालों के जबाब मिल गए..।।

25 दिसंबर को छुट्टी इसिलिय होती थी कि इस रोज ईसाई धर्म के प्रेणता का जन्म हुआ... जिन्हें भगवान यीशु के नाम से जाना गया..।।


यीशु ने अपने विचार से दुनिया को बदल दिया,और अपने विचार पे अडिग रहे..जिस कारण उन्हें शूली चढ़नी पड़ी..
शायद वो शूली नही चढ़ते तो..दुनिया आज उन्हें नही पूजती..
यीशु अपने मृत्यु से यही संदेश देते है-  आपके विचार,आदर्श,लक्ष्य हमेशा मृत्यु से बड़ी होनी चाहिए.. इन्हें पाने के लिए जीवन भी तुच्छ लगने लगे..।।

मगर वर्तमान समय मे हमारा लक्ष्य,आदर्श, विचार सबकुछ संकुचित हो गया है..वो हमतक या फिर परिवार तक ही सिमट कर रह गया है..क्यों..??

-अपने विचारों पे अडिग रहने के कारण ही इन्हें शूली पे चढ़ा दिया गया..इसिलिय आज के दिन को बड़ा दिन कहते है..।।

मगर वास्तिविकता ये है कि उन रूढ़िवादियों को इनके विचार से कोई परेशानी नही थी..
बल्कि यीशु के विचारों से प्रभावित जो भीड़ थी उससे सबको डर लग रहा था....।।
आज भी भीड़ बड़े-बडे शक्तिशाली शासकों को नीचे झुका देती है,जबकि आज आधुनिक हथियार है,मगर तब भी भीड़ से सब सहमे हुए है...।

- क्रिसमस ट्री आखिर होता क्या है...??


सबसे पहली बात की इसका संबंध यीशु से बिल्कुल नही है..
इसकी सर्वप्रथम शुरूआत 16वी शताब्दी में ईसाई धर्मसुधारक मार्टिन लूथर के द्वारा शुरू हुई..24 दिसंबर को रास्ते से गुजर रहे थे तो उन्हें firs tree/क्रिसमस ट्री/ सनोबर(जोकि pine/चीर प्रजाति) का पौधा मिला जो पतियों पे बर्फ गिरने के कारण चमक रहा था ..जिसने मार्टिन लूथर को आकर्षित किया और उन्होंने घर ले आया और अगले दिन 25 दिसंबर को इस वृक्ष को सजाया उसके बाद ये पूरे विश्व मे इसे सजाने का प्रचलन फैल गया..।।

- सांता क्लॉज कौन है..??


इनका भी संबंध यीशु से नही है.. सांता क्लॉज का असली नाम सांता निकोलस था जिनका जन्म तुर्किस्तान के मायरा में हुआ,चपन मे ही माता-पिता के देहांत के बाद कम उम्र में ये पादरी बन गए व्यवहार से दयालु थे इसलिए बच्चों को स्नेह और टॉफियां बाटते थे,खासकर क्रिसमस के अर्धरात्रि को अपने पूरे कस्बे में..और ये धीरे-धीरे बाते फैलती गई और ढेर सारे दयालु व्यक्ति जुड़ते गए और सांता क्लॉज की संख्या बढ़ती गई..।।

ईसाइयत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया..
दया,करुणा और सेवा भाव इनका मूल उद्देश्य है..
आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने में ईसाइयत का अहम योगदान है,जिसकारण ही पृथ्वी विशालकाय होने के बावजूद मोबाइल में समा गई है..
हरेक चीज के दो पहलू होते है..और ईसाइयत का दूसरा पहलू खून से सना है..मगर ऐसे सना है जिससे बू नही आती..मगर ये बहुत डरावना है..।।

हमें यीशु के उन आदर्शों विचारों को फिर से सीखने की जरूरत है जिसने उन्हें अमर कर दिया..
"तुम एक दूसरे से प्रेम करो; मैंने तुमसे जैसे प्रेम किया है, उसी तरह तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो।" - यूहन्ना 13:34

"न्याय का मार्ग चुनो, दया के साथ चलो और अपने परमेश्वर के साथ बस तुम रहो।" - मिखा 6:8


रविवार, 24 दिसंबर 2023

प्यार की पांति...बहुत जस्तुजु की

बहुत जस्तु-जु की तुम्हे देखने को..
हकीकत में न सही, सपनों में ही सही..
मगर वंहा भी, तुम नही..तुम्हारे अब्बू दिखे..😊

मैं आज भी वंही हूँ...
मगर तुम बहुत दूर निकल गयी हो..

जब थक जाओ..
और आने का मन करें..
मैं वंही मिलूंगा..
वैसे ही मिलूंगा..
जैसे तुमने छोड़ा था..

बहुत जस्तुजू की तुम्हे देखने को...
हकीकत में न सही,सपनो में ही सह...

बुधवार, 6 दिसंबर 2023

हम BJP से क्या सीख सकते है..

कुछ लोग अक्सरहाँ जीतते है,
तो कुछ लोग अक्सरहाँ हारते है...
जो जीतते है, वो फिर से जीत की तैयारी में जुट जाते है, और पहले की गई गलतियों को सुधारने का भी प्रयास करते है..

और जो लोग हारते है,वो हारने का कारण नही बहाना ढूंढते है, इसीलिए वो अगली बार फिर हारते है...

बहुसंख्यक लोग हार का बहाना ढूंढने वालों में से ही है..

जब से मोदी जी शक्ता में आये है तब से BJP अक्सरहाँ चुनाव जीत रही है..क्यों..??
इसका कोई एक कारण नही, बल्कि कुछ मूलभूत कारण है..



1.उद्देश्य स्पष्ट है ... BJP का उद्देश्य सिर्फ शक्ता पाना नही बल्कि शासन के माध्यम से सुशासन लाना है..अन्य दल को किसी तरह शक्ता पाना है..

2.दूरदर्शिता.. अन्य दलों में दूरदर्शिता का अभाव है

3.परिणामोन्मुखी कार्य..BJP जो कर रही वो दिखता है..

4.आरोप-प्रत्यारोप से दूरी बनाए रखना

5.अंतर्कलह..BJP अंतर्कलह को कमरे से बाहर नही आने देती है,और अन्य पार्टी अपने अंतर्कलह को रायता की तरह फैला देता है..

6.कृतज्ञता का भाव...BJP में जनता के प्रति कृतज्ञता का भाव झलकता है, और अन्य दलों में इसका अभाव है..

7.जमीन से जुड़ाव....यानि जनता से जुड़ाव बनाये रखे हुए है BJP जबकि अन्य पार्टियों में ये कम होता जा रहा है..।।

और ढेर सारे कारण है..

हम BJP से क्या सीख सकते है...??
अगर सफल होना हो तो...

- हमारा उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए..

-हमारा भविष्य के प्रति क्या दूरदर्शिता है..?? ये स्पष्ट होना चाहिए।

-क्या हम परिणामोउन्मुखी कार्य कर रहे है..?? या फिर यू ही समय काट रहे है..

-क्या हम भी आरोप-प्रत्यारोप करते है,अगर हां तो ये हमारी सफलता में रोड़ा बनेगी..

-क्या हम अपने अंतर्कलह में उलझे हुए है,अगर हां तो मत उलझे,सफल हो जाएंगे तो ये अंतर्कलह खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगी..

-क्या हममें कृतज्ञता का भाव है..उन सबके लिए जिसने हमारे जीवन को बेहतर बनाने में कुछ-न-कुछ योगदान दिया है.... अगर नही तो हम सफल होके भी असफल ही है..।।

ये इतना आसान नही है..मगर नामुमकिन नही है..
अगर सफल होना है तो करना ही होगा..

मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

कभी-कभी...

कभी-कभी खुद की ही पीठ ठोकने का मन होता है,
क्यों..
क्योंकि कभी-कभी काम ही कुछ ऐसा कर जाता हूँ..

कभी-कभी खुद पे ही हँसने लगता हूँ..
क्यों..
क्योंकि अपनी मूर्खता का भान होता है...

कभी-कभी चोरी-चुपके खूब रोता हूं..
क्यों...
क्योंकि रोने का वजह में स्वयं होता हूँ..

कभी-कभी यू ही खुली राहों पे निकल जाता हूँ..
क्यों..
क्योंकि स्वयं का होने का अहसास होता है....



 

सोमवार, 4 दिसंबर 2023

जब मन अशांत होता है..

जब मन अशांत होता है

तो मैं समुन्द्र किनारे आ जाता हूं...



क्यों..???

क्योंकि अथाह समुन्द्र के आगे मेरा अशांत मन ,शांत हो जाता है...

जब कुछ बातें करनी होती है..

तो लहरों से बाते कर लेता हूँ...

क्यों..??

क्योंकि ये मेरे बातों का बुरा नही मानता..

कुछ शिकायत करनी होती है

तो ढलते हूए सूरज से कर लेता हूँ..

क्यों..??

क्योंकि सूरज डूबते ही मेरे शिकायत को भूल कर, अगले सुबह फिर से नई ऊर्जा भर देती है.. 

जब मन शांत और...बातें शिकायत खत्म हो जाती है..

तो मैं घर को चला आता हूँ..

इक नई ऊर्जा,एक नई उत्साह,एक नई उमंग,

इक नई उम्मीद लिए..

जब मन अशांत होता है..

गुरुवार, 30 नवंबर 2023

परम सत्य क्या है..क्या मृत्यु परम सत्य है..??

जिसने भी जन्म लिया है उसे मरना ही है..
ये बचपन से हम सुनते आ रहे है..मगर इससे सीखा क्या..??

क्या, मृत्यु परम सत्य है..??
शायद है...
मगर किसके लिए..??
जो मरा है,उसके लिए,
या फिर जिसे मरा हुआ प्रतीत हो रहा है उसके लिए..??

जरा सोचिए..??🤔
हम जब-तक जिंदा रहता है, तबतक मृत्यु से हमारा कोई वास्ता ही नही रहता,हम इस बारे में सोचते ही नही..
आखिर ये कैसा सच है,जिसका मनुष्य को अहसास तक नही होता..

परम सत्य तो वो है,जिससे हम रोज रूबरू होते है..
आखिर वो है क्या..??

आज से 2500 वर्ष पहले इस परम सत्य के बारे में जिसने कहा वो महात्मा बुद्ध थे..


महात्मा बुद्ध ने 4 आर्य सत्य बताए..
 1. दुःख है
 2. दुःख का कारण है
 3.दुःख का निदान है
 4.दुःख निदान का मार्ग है..अष्टांगिक मार्ग

महात्मा बुद्ध जिस परम सत्य की बात करते है वो दुःख है..
हमारे जन्म लेते ही इस परम सत्य से सामना शुरू हो जाता है..
हम जन्म लेते है रोना शुरू कर देते है..और दुःख नामक परम सत्य का चक्र शुरू हो जाता है.
और ये तबतक चलता रहता है जबतक हमारी मृत्यु न हो जाये..।।

इस पृथ्वी पे जितने भी प्राणी है सभी दुःखी है..
और हरेक का दुःख का कारण है..
और हरेक का दुःख का निदान भी है..
और वो निदान अष्टांगिक मार्ग है..।।

ऐसे समझिए..
कोई बच्चा रो रहा है..क्यों..?? क्योंकि वो दुःखी है..
अगर बच्चा रो रहा है तो उसका कारण होगा..
या तो वो भूखा होगा या फिर उसे किसी चीज की जरूरत होगी..
अगर हमें उस बच्चे का रोने का कारण पता चल गया तो उसका निदान भी होगा..

अब हम खुद को ले... क्या हम दुःखी है..(अभी नही तो कभी न  कभी तो होंगे ही)
अगर हम दुखी है.. तो उसका कारण भी जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढे..
अगर दुःख होने का कारण मिल गया तो उसका निदान भी है..
आप अपने स्तर पे ढूंढे अगर मिल गया तो ठीक है नही तो बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करें..
दुःख से छुटकारा जरूर मिलेगा..।।

बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग क्या है..??
बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग, आचरण है,जिसे जीवन में अनुशरण करने से दुःख से छुटकारा मिल जाता है..।।
       1.सम्यक दृष्टि - हमारा लक्ष्य क्या है,क्या वो सही और स्पष्ट है..
       2.सम्यक संकल्प : अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दृढ़ता से संकल्प लेना।
       3.सम्यक वाक : ऐसा कुछ न बोलना जो हमारे लक्ष्य सिद्धि में हानिकारक हो,और न ही मेरे बोलने से किसी को तकलीफ हो..

      4.सम्यक कर्म : अपने लक्ष्यसिद्धि के लिए कोई भी ऐसा कर्म नही करना, जो स्वयं और दूसरे के लिए हानिकारक हो..

     5.सम्यक जीविका : ऐसा कोई भी आर्थिक गतिविधि न करना जिससे किसी को नुकसान हो..

     6.सम्यक व्यायाम : अपने शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए नियमपूर्वक और निरंतर व्यायाम करना

    7.सम्यक स्मृति : ऐसी कोई भी बातें नही याद रखना जो तकलीफ देह हो..बल्कि ऐसी स्मृति को बढ़ावा देना जिससे स्वयं और जगत का कल्याण हो
    8.सम्यक समाधि :  स्वयं में खो जाना ही समाधि है..



शुरुआत के चार मार्ग हरेक इंसान को अपने जीवन में अनुसरण करना ही चाहिए..अगर हम अनुशरण करते है तो दुःख से छुटकारा मिल जाएगा..।।

वर्तमान में हरेक समस्याओं का हल महात्मा बुद्ध के द्वारा दिये गए 4 आर्य सत्य में छुपा हुआ है..
आप कोई भी समस्या उठाये इसका निदान 4आर्य सत्य के द्वारा मिल जाएगा..
आज समाज मे आत्महत्या की प्रवृति बढ़ रही है..
क्यों..??
इसका कोई न कोई कारण जरूर होगा.. उस कारण को ढूंढ कर इसका निदान किया जाय..
और इसका निदान कंही न कंही बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..
आज अतिभोगवाद बढ रहा है,साम्प्रदायिकता बढ़ रहा है,पर्यावरणीय समस्या बढ़ रही है..
और हरेक समस्या का निदान बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग में छुपा हुआ है..।।

आज कोई भी मनुष्य दुःख रूपी परम सत्य से अनछुआ नही है..
जिसने भी जन्म लिया उसे जन्म लेते ही उस परम सत्य से सामना करना पड़ता है..
मगर खुशी की बात ये ही कि दुःख रूपी परम सत्य का निदान है..।।

तो निर्णय आप करें आपके लिए परम सत्य क्या है..
जिससे आप लगभग नित-दिन रु-ब-रु हो रहे है,
या फिर वो जो किसी कोने में बैठ कर हमारा इंतजार कर रहा है..।।

सत्य तो वो है जिसका हमें अहसास हो..
बाकि सब मिथ्या है..

क्योंकि श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण कहते है मृत्यु एक प्रक्रिया है-
          जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।
          तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि।।2.27
अर्थ- जो जन्म लिया है,उसे मरना ही है,और जो मरा है उसे जन्म लेना ही है,इसिलिय शोक मत कर(कृष्ण अर्जुन से कहते है)



वंही दूसरी जगह कृष्ण कहते है-

           वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
           नवानि गृह्णाति नोरोपणानि।
           तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्य
           न्यानि संयाति नवानि देहि।।

-जिस प्रकार मनुषय पुराने वस्त्रो को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन शरीर धारण करता है।

तो अब आप बताए परम सत्य क्या है..??

मृत्यु या दुःख..??

बुधवार, 29 नवंबर 2023

वर्तमान में परवरिश क्यों जरूरी है..??

इस पृथ्वी पे सबसे असहाय प्राणी कौन है...??
जरा सोचिए...??
पता चला...
हम और आप है... इस पृथ्वी पे सबसे असहाय ...।।
क्यों..??
क्योंकि मनुष्य को ही सिर्फ परवरिश की जरूरत पड़ती है,इस पृथ्वी पे..और कोई ऐसा जीव नही है जिसे परवरिश की जरूरत पड़े..।
जरा सोचिए हमारी अगर परवरिश न हो तो क्या होगा..??
क्या हमारा अस्तित्व होगा..??
अगर अस्तित्व होगा भी तो कैसा..??

वैसे परवरिश की लगभग हरेक कशेरुकी जीव(vertebrae)
को पड़ती है..मगर उसकी अवधि बहुत कम होती है..।।

मगर मनुष्य की परवरिश की अवधि बहुत लंबी होती है..
शायद इसिलिय मनुष्य इतना विचारशील प्राणी है..।।

मगर वर्तमान में मनुष्य की परवरिश का स्तर दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है..।।


अगर परवरिश सही से न हो, मगर सारी सुविधाएं मिले तो क्या होगा..??

आज हम इस युग मे है..जंहा मनुष्य गुलाम है..क्यों..??
और हमें पता नही है..क्यों..??
आप क्या देख रहे है...??
आप क्या कर रहे है...??
आप क्या करेंगे..??
इसका निर्णय आज अधिकतम मनुष्य खुद नही कर रहा है..??
क्यों...??
जरा सोचिए..।।
यंहा भी परवरिश का अहम रोल है..
क्या स्कूल,कॉलेज में इस तरह की शिक्षा दी जा रही है..की इंटरनेट,सोसल मीडिया का इस्तेमाल कैसे करें..??

आपको जान कर आश्चर्य होगा..
की 80% लोग जो internet पे सर्च करते है,वो अनैतिक(गलत चीज) है..??
आखिर क्यों लोग इस तरह की चीज सर्च करते है..??

क्योंकि परवरिश अच्छी से नही हुई है..

2 दिन पहले ही एक 10 साल के बच्चे ने अपने क्लास साथी को स्टडी इंस्ट्रूमेंट(प्रकार)  से छेद करके हत्या कर दी और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर डाला..
पता है क्यों..??
क्योंकि उसे ज्यादा व्यू मिले...

आज परवरिश की बहुत जरूरत है..
अगर आप अपने बच्चे को अच्छी तरह से परवरिश करना चाहते है तो 5 साल के उम्र तक स्मार्टफोन से उसे दूर रखें,12 साल के उम्र तक उसे अपने निगरानी में इंटरनेट इस्तेमाल करने दे....


क्योंकि आने वाला समय और भयावह होने वाला है..
क्योंकि chatGPT  जैसे कई AI(आर्टिफिशियल intelligence) अपने पैर पसार रहा है..
इसका अगला कदम और भयावह हो सकता है..



आप कल्पना कीजिये कितना भयावह..??

आप चेस खेलते है.  या फिर कोई भी गेम..
उस गेम में अभी चाल हम चलते है..
अगर हमारी परवरिश अच्छी न हो तो चाल AI+robot चलेगा..और हम प्यादे होंगे..

सकी हल्की झलक कुछ सालों पहले मिला था..
जब ब्लू व्हेल नामक गेम ने कइयों का जीवन लील लिया था..
आखिर कैसे...?? और क्यों..??

सतर्क हो जाये....
क्योंकि आने वाला समय ...??



सोमवार, 27 नवंबर 2023

आज गुरुनानक जयंती है... क्यों..??

"इक ओंकार सतनाम, 
करता पुरख, निर्भ-ऐ-ओ,निर्वेर,
अकाल मूरत,
अजूनी सभम,
गुरु परसाद जप, 
आड़ सच,जुगाड़ सच,
है भी सच, नानक होसे भी सच.."

एक सत्य है,वो ओंकार है..
जो कर्ता है,जो भय मुक्त है,दुश्मन रहित है..
जिसने मृत्यु पे विजय पा ली है,जो जन्म-मरण से परे है..
ऐसे परमात्मा को गुरुनानक जी ने अपना गुरु माना है..



आज गुरुनानक जयंती है...क्यों..??
इसिलिय की उनका जन्म इस रोज हुआ, या फिर इन्होंने अपने कर्मों के द्वारा अपने जन्म को सफल बना दिया...।।

गुरुनानक जी जो वर्तमान पाकिस्तान के तलवंडी में कालू मेहता के यंहा पैदा हुए..ऐसा ही मध्यम परिवार जैसा मध्यम परिवार की बहुतायत है हमारे भारत मे..

नानकजी को कोई बंधन नही बांध पाया,पिता ने दुनियादारी में बांधने के लिए शादी करवा दिया,मगर शादी का बंधन भी उन्हें नही बांध पाया..
उन्होंने ताउम्र अपने गृहस्थ जीवन का निर्वहन किया और पूरे विश्व को संदेश दिया कि आप गृहस्थ जीवन मे भी रहकर भी जीवन की ऊंचाइयों को पा सकते है...

उन्होंने अपने जीवनकाल में 28 हज़ार किलोमीटर की यात्रा की सिर्फ भारत मे ही नही बल्कि अफगानिस्तान, ईरान, मक्का-मदीन,तिब्बत,नेपाल,म्यांमार,चीन कुल मिलाकर उन्होंने 400 से ज्यादा शहरों की यात्रा की...क्यों..??
समाज में पर्याप्त सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए..

उसीका परिणाम है कि सिख समाज मे मानवता का उच्चतम भाव है..और वो है सेवा-भाव.. बिना भेदभाव के..
जिसका बीजारोपण नानक जी ने किया था,वो आज फलीभूत हो रहा है..


गुरुनानक जी ने 3 मंत्र दिए या हम कह सकते है कि सिख धर्म के 3 पिलर है..
i . वंड चखना(लंगर)- आप भूखे है गुरुद्वारा चले जाइये.. बिना कुछ कहे बिना कुछ पूछे भरपेट भोजन मिलेगा..वो भी बिना भेद-भाव के.. भले ही आप चार्टर प्लैन से आये हो,या फिर नंगे पांव से एक ही पंक्ति है यंहा सबके लिए..

ii . कीरत करना और
 
iii . नाम जपना

और सबसे बड़ी बात ये है कि सिख धर्म मे गुरु की महिमा सबसे ऊपर है.. उन्होंने तो "गुरु ग्रंथ साहिब" को ही गुरु का पद दिया है.. ये छोटी बात नही ये बहुत बड़ी बात है..
वर्तमान समय मे हमे इस बात को समझना जरूरी है कि किताब की क्या महात्म्य है..

गुरु नानकजी से क्या सीखे..??
1. हमेशा ऐसा सौदा करें जिससे दूसरों का भला हो..
2. चुनौतियों से भागे नही उसे सहर्ष स्वीकार करें..
3. सामाजिक कुरीतियों का विरोध करें..
4. भाईचारा, बन्धुत्वता को बढ़ावा दे..
5. गलत आचरणों से बचे.और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखे..

सिख धर्म आज भी कुछ अपवादों को छोड़कर इसे दृढ़ता से पालन कर रहा है..
इसिलिय आप विश्व के किसी कोने में फंसे हो और आपको मदद की जरूरत है, तो गुरुद्वारा और सरदारजी आपके मदद के लिए सदैव तैयार रहेंगे...
"क्योंकि मानवता से बड़ा कोई सेवा नही है.."

एक वाकया है USA की, एक एक व्यक्ति ब्रेड चोरी करते हुए पकड़ा गया और उसे जज के सामने लाया गया .. तो जज ने उससे कहा-अगर अगली बार भूख लगे तो चोरी नही बल्कि किसी गुरुद्वारे में चले जाना..।।


रविवार, 26 नवंबर 2023

संविधान दिवस.. एक औपचारिकता..??

भारत के 90% आबादी को मालूम नही की आज क्या है..??
न ही हम जानना चाहते है,और न ही सरकार चाहती है कि आप जाने ...
क्यों..??
क्योंकि जब आपको अपने अधिकार का पता चलेगा तो आप अपने अधिकार हक से मांगोगे... न कि नेताओ की रैलियों में रैला खायेंगे..
भला कौन सरकार ऐसा चाहेगी की ..उसके रैली में कोई न आये..इसिलिय सरकार आपको अपने अधिकार से वंचित ही नही बल्कि आपको अपने अधिकार का भान ही नही होने दे रही है..
NCERT की पुस्तक में छपी हुई है भारत के संविधान की उद्देशिका.. जिसके बारे में न शिक्षक को पूर्ण ज्ञान है, और छात्र की तो बात ही छोड़ दीजिए...।।

आज 26 नवंबर जो की संविधान दिवस के रूप में हम मनाते है...
क्यों मनाते है..??
क्योंकि हमें ये भान हो कि हमारा संविधान किस तरह का अधिकार पूरे भारतवासी को देता है..(आज ही के दिन 1950 में संविधान लागू हुआ था)

संविधान की उद्देशिका... के अनुसार सरकार का कर्तव्य है कि वो पूरे भारतवासी को..

सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध करवाए..
हम आज कंहा है..??

सामाजिक न्याय कुछ हद तक मिला है,छुआछूत,जातिवाद,लिंग-भेद बहुत हद तक कम हुआ है,और हम ज्यो-ज्यों आर्थिक रूप से सम्पन्न होंगे सामाजिक न्याय के करीब पहुंचते जाएंगे..

आर्थिक न्याय- वर्तमान में ये बहुत ही विरोधाभासी हो गया है भारत के जंहा 10% आबादी के पास कुल आय का 50% है वंही भारत के 80% आबादी के पास कुल आय का 20 % ही है...

राजनीतिक न्याय भी वर्तमान में आम लोगों से दूर होती जा रही है क्योंकि आज आम आदमी चुनाव नही लड़ सकता क्योंकि चुनाव जीतने के लिए पैसा और रुतबा चाहिए जो आम आदमी के पास नही है...

वंही हमारी उद्देशिका भारत के सभी नागरिकों को- विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता देती है..मगर किस तरह की..??

- वर्तमान में आपके विचार अगर सरकार से नही मिलता है तो आप मूर्ख या देशद्रोही है,अगर विचार मिलते है तो आप भक्त है..।।

- अभिव्यक्ति- अगर आपकी अभिव्यक्ति सरकार के खिलाफ हुई तो आपके ऊपर ED का छापा पर सकता है..मालूम नही कुछ और भी हो सकता है..।।

-धर्म- वर्तमान में धर्म के नाम पर इतना स्वतंत्रता मिल गई है कि हम किसी दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने से नही हिचकते.. जिस कारण आज सम्प्रदायवाद बढ़ता जा रहा है..इससे किसे फायदा होगा..??

वंही उद्देशिका सबको प्रतिष्ठा और अवसर की समानता की बात करता है.. जो वर्तमान में चुनौतीपूर्ण है..।।

वंही संविधान की उद्देशिका हम नागरिकों से भी अपेक्षा करती है कि हम राष्ट्र की एकता और अखण्डता और बंधुता बढ़ाने के दिशा में कार्य करें..
क्या हम कर रहे है..??

हरेक भारतीय को अपने संविधान को जानना चाहिए..
और सरकार को भी चाहिए कि वो लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता लाये..




प्यार की पाती... मालूम नही क्यों...

मालूम नही क्यों..??
मेरा दिल अब भी..
सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है..
ज्योहीं तुम्हारा ख्याल आता है..
मन भाव-विभोर और आंखे नम हो जाती है..।






मन को बार-बार समझाता हूँ..
मुझे तुमसे प्यार नही,सिर्फ आकर्षण था..
मन नही मानता...
क्योंकि उस गली में इक और थी..
जो इस बदनसीब को चाहती थी..
मगर ये बदनसीब तुम्हें चाहता था..।।

मालूम नही क्यों..
ये दिल अब भी तुम्हारे लिए धड़कता है..
तुम्हारा ख्याल आते ही मन भाव-विभोर और आंखे नम हो जाती है..।।
तुम्हें शायद पता न चले..
मगर इस कायनात को पता है..
की कितने अश्रु गिरे है तुम्हारे याद में..
मालूम नही क्यों...ये दिल अब भी...
सिर्फ तुम्हारे लिए धड़कता है...
और इक तुम हो,
जिसे मेरी धड़कन की आवाज सुनाई नही देती..
मगर मेरा दिल अब भी तुम्हारे लिए धड़कता है।।

मंगलवार, 21 नवंबर 2023

आप किस तरह की गलतियां करते है..

मनुष्य 4 तरह के होते है- गलतियों के आधार पे..आप किस तरह के है..??



i. पहले तरह के लोग वो होते है,जो गलतियां करते है,मगर उन्हें अपने गलतियों का अहसास ही नही होता है.. इसमें दो तरह के लोग होते है-1.अबोध-जिन्हें सही और गलत का पता ही नही चलता। 2. ऐसे लोग होते है,जिन्हें अपने ज्ञान, अभिमान के कारण अपने गलतियों का अहसास ही नही होता,या फिर वो गलतियां स्वीकारना ही नही चाहते..।। ऐसे लोगों की संख्या 10%के आसपास होती है..।

ii. दूसरे तरह के लोग, वो होते है...जो गलतियां करते है,और उन्हें अपने गलतियों का अहसास भी है,मगर वो उसे सुधारने का प्रयास नही करते... अगर करते भी है तो अनमने तरीके से,अगर गलती सुधार भी लिया तो फिर से उसी गलती को फिर से दोहराते है। ऐसे लोगों की संख्या सर्वाधिक है लगभग -80%

iii. तीसरे तरह के वो लोग होते है,जो गलती होते ही उसे सुधारने में लग जाते है,और फिर जीवन मे इस तरह की गलतियों को नही दुहराते है..। इसी तरह के लोग समाज मे सफल होते है और अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाते है.. ऐसे लोगो की संख्या 5% के आसपास है..

iv.चौथे तरह के वो लोग होते है,जो गलतियां करने से बचते है,अगर गलती से गलती हो गया.. तो गलती क्यों हुआ....?? उस क्यों को ढूंढते है..और फिर इस तरह की गलतियां जीवन मे नही करते है..।। ऐसे लोगों की संख्या 1% से भी कम है....

 ये वो लोग हो जिसे हम-आप आदर्श मानते है..उनके जीवन से कुछ सीखना चाहते है,उनके जैसा बनना चाहते है..मगर अफसोस अपनी गलतियां सुधारना नही चाहते है..जिस रोज हम अपनी गलतियां सुधारना शुरू कर देंगे,उस रोज हम उस 85% के भीड़ से बाहर निकलना शुरू कर देंगे..

निर्णय हमें ही करना है..की हमें क्या करना है..??

-गलतियां करके भी गलतियों का अहसास नही करना है...

-गलतियों का अहसास करके भी उसे अनमने भाव से सुधारना है..

-गलतियां होते ही तत्पश्चात उसे सुधारने को अग्रसर हो जाना है, या फिर

-गलतियां करना ही नही है,अगर गलती से भी गलती हो जाये तो,गलती क्यों हुई उस क्यों को ढूंढना है..।।

निर्णय हमें ही करना है.. की हमें क्या करना है..

अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो अपने गलतियों/खामियों/कमियों पे विजय पाना ही होगा..।।

हरेक सवाल का जबाब

हमारे हरेक सवाल का जबाब,हमारे अतीत में छुपा हुआ है...
हम आज जिस परिस्थितियों में है,उसके लिए हमारा अतीत ही जिम्मेदार है..


अगर हम अपनी परिस्थितियों को बदलना चाहते है,या फिर और बेहतर करना चाहते है,तो हमें अपने अतीत में डुबकियां लगानी ही होंगी.. मगर सावधानी से..
क्योंकि डुबकियां लगाकर समस्याओं का हल ढूंढने वाले मोतियों(विचारों) को लाना होगा,ना कि समस्याओं को और जटिल करने वाले कंकडों(अवसादों) को..

हममें से ज्यादातर लोग अतीत में डुबकियां लगाते है...मगर अफसोस हम अतीत के उन हिस्सों में ही डुबकियां लगाते है,जिसने हमारे वर्तमान को और जटिल कर दिया है...।

हम जिन भी समस्या से जूझ रहे है,उसका जबाब अतीत में ही मिलेगा...अपने अतीत में डुबकियां लगाकर अपने वर्तमान समस्याओं का क्यों...कैसे का जबाब ढूंढे..
जरूर जबाब मिलेगा..सिर्फ जबाब ही नही वर्तमान समस्या का समाधान भी मिलेगा..।।

अपने अतीत में सिर्फ डुबकियां ही लगाना है..
कुछ लोग अतीत में डूब जाते है,
जो अतीत में डूब जाते है,
उसे अतीत लील जाता है..।।

अतीत में डुबकियां लगाना आसान नही है..
अतीत में डुबकियां लगाने से पहले...
अपने वर्तमान समस्या की पहचान करें...
और ये दृढ़निश्चय करें की हमें इन समस्याओं से निपटना है..
तब ही अतीत में डुबकियां लगाए..।।

हमारे अतीत का दो पक्ष है- एक अंधेरा और एक उजाला..
हमारे ज्यादातर वर्तमान समस्याओं का हल,उस अंधेरे पक्ष में ही छुपा हुआ है..
इसिलिय जब डुबकियां लगाए तो अपने अस्त्रों(तार्किक विचारों) के साथ ही,नही तो ये अंधेरा लील जाएगा..।।

अब आइने में चेहरे

अब आइने में चेहरे बदसूरत दिखने लगे है..

चेहरे पे धूल जम गई है,या फिर आइने पे धूल जम गई है..

सच कहूं तो न आइने पे धूल जमी है,न ही चेहरे पे धूल जमी है..

दृढ़ता,संकल्पता,अनुशासनहीनता के कारण चेहरा धूल धूसरित होती जा रही है..।



आइने के धूल भी हट जायेंगे, और चेहरे का धूल भी धुल जाएंगे..

मगर जो गवाया है,उसे कैसे हासिल कर पाएंगे..??

अब जो गवा दिया,सो गवा दिया..उसके लिए अफसोस क्या करना...

अब जो पा सकते है,उसे पाने का प्रयत्न करें...।।

हमेशा एक राहें खुली रहती है,जब सारे राहें बंद हो जाती है..

उस राहें पे तो चलना मुझे ही है..

इन राहों पे चल के ही,चेहरे पे जमी धूल, धुल पाएगी..

निर्णय मुझे ही करना है...

चेहरे पे जमी धूल से, इस चेहरे को धूल-धूसरित होने दु...

या फिर चेहरे पे जमी धूल को, धुल कर इक मुस्कान बिखरने दूं..

सोमवार, 13 नवंबर 2023

कमर कस हुंकार भर...

                       


                        कमर कस, हुंकार भर। 

अपनी कमियों को ललकार कर,

युद्धभूमि में सीना तानकर..

अपने कमियों पर प्रहार कर..।

अपने तरकश से पहला बाण निकालकर,

अपने काम(क्रोध,मोह) पर तुम वार कर।

दूसरे बाण से तुम अपने आलस्य पर प्रहार कर।

और तीसरे बाण से तुम अपने अंतर्द्वंद्व पर वार कर।

अगर इससे भी न हो, तो आखरी अस्त्र इस्तेमाल कर,

 पुनर्जीवन(ध्यान) को स्वीकार कर..

फिर से अंकुरित होकर अपने आप को स्वीकार कर..।।

कमर कस,हुंकार भर

अपने कमियों को ललकार कर

युद्धभूमि में सीना तानकर..

अपने कमियों पर प्रहार कर..।


शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023

आप उदास क्यों है..??

 आपने कभी सोचा है..??

आपके उदासी का कारण क्या है..??



थोड़ी देर सोचिए...🤔

हमारे उदासी का कारण हमारा संघर्ष है.. और संघर्ष किसके जीवन मे नही है..??

ये जीवन ही संघर्ष है,और बिना संघर्ष के जीवन, है ही नही..

तब, फिर हम उदास क्यों है..??

क्योंकि हम संघर्ष से भागना चाहते है..और भागते रहते है,और एक दिन थक जाते है..और तब,दुःख की शुरुआत होती है..।

आंखे बंद कीजिए... और अपने मन मे किसी 5 बड़े व्यक्तित्व का नाम सोचिए वो किसी भी क्षेत्र से हो सकते है... आँखें बंद करके सोचिए तो सही...😔

अब आप खुद से पूछिए की..आप उन्हें क्यों जानते है..??

शायद इसलिए कि वो सफल व्यक्ति है/थे....

नही....इसलिए हम उन्हें जानते है कि, उन्होंने संघर्ष का सहर्ष सामना किया...।।

और हम क्या कर रहें है..??संघर्ष से बचना चाहते है..हम जितना बचना चाहते है..संघर्ष उतना ही बढ़ता जाता है..और वो जितना बढ़ता जाता है,हम उतना ही दुःखी होते चले जाते है...।।

और जिस क्षण हम इन संघर्षों का सामना शुरू कर देते है,उसी क्षण से दुःख कम होता चला जाता है..।।

अब निर्णय आपको करना है..

जिंदगी को ताउम्र बोझिल बनाना है...या फिर संघर्ष को सहर्ष स्वीकार कर..स्वर्णाक्षर में अपना नाम खुदवाना है....

निर्णय तो हमें ही करना होगा..

क्या होता अगर..??

गांधी पिट्सबर्ग के बेज्जती से आहत होकर अगर भारत चले आते..तो कौन जानता इन्हें..??

एडिसन की माँ, अगर टीचर की बात मान लेती तो कौन जान पाता इस थौक के आविष्कारक को...

क्या होता अगर स्टीव जॉब्स अपने ही बनाये कंपनी से निकाले जाने के बाद हताश हो जाते...तो शायद आज ये भारत की GDP के समांतर कमाई करने वाली कंपनी नही होती..

क्या होता अगर यूक्रेन रसिया से संघर्ष करना छोड़ देता..और आज अगर इजरायल संघर्ष करना छोड़ दे तो... शायद अस्तित्व ही न बचे...

और हम क्या कर रहे है..

संघर्ष से बचना चाहते है...

हम जितना संघर्ष से बचना चाहेंगे,उतना ही हम दुःखी होते चले जायेंगे...

अब निर्णय हमें ही करना है....।।

मुस्कुराइए😊....क्योंकि आपकी मुस्कुराहट आपके संघर्ष को आसना बनायेगी...।।

मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023

राम ने रावण को क्यों मारा

हममें से अक्सरहां को पता होगा.. की..

राम ने रावण को क्यों मारा..?? 



मगर सच कहूं तो,जो आप सोच रहे है..वो जबाब सही नही है..

राम कभी रावण को मारने के पक्ष में थे ही नही..

इसिलिय तो उन्होंने अगंद को शांति दूत बना करके भेजे..

मगर परिणाम क्या हुआ....

परिणाम ये हुआ कि राम को रावण को मारने के लिए विवश होना पड़ा.. आखिर क्यों..???

"अहंकार" रावण का अहंकार रावण से बड़ा हो गया था,जो उसका मौत का कारण बना..।।

आज हम सब में, कुछ हो न हो अहंकार भड़ा पड़ा हुआ..

अहंकार से ही क्रोध की उत्पत्ति होती है..

और क्रोध की उत्पत्ति से ही,मनुष्य की दुर्गति होती है..।।

निर्णय आपको करना है..??

की आप क्या चाहते है..

अपने अहंकार को काबू में करना चाहते है या फिर दुर्गति को प्राप्त करना चाहते है..

अहंकार को काबू में कैसे करें..??

मौन रहे...।।

इस विजयदशमी को अंदर के रावण को मारे..

रावण कौन है.. वो हमारे बुराइयों के प्रतीक है..

अपने सबसे बड़े बुराई को पहचाने और इस विजयदशमी को उसपे विजय पाने का प्रण करें...।।

विजयदशमी की ढेर सारी शुभकामनाएं...


सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

मैं विलीन हो जाना चाहता हूं..



मैं प्रेम में डूबना चाहता हूं,बुद्ध की तरह...

मैं निरंतर बहना चाहता हूं..नदी की तरह..

मैं मुस्कुराना चाहता हूं..फूल की तरह..

मैं जलना चाहता हूं..सूर्य की तरह..

मैं विलीन हो जाना चाहता हूँ...शून्य की तरह..

रविवार, 22 अक्टूबर 2023

क्या हम अपनी घर की देवियों का सम्मान करते है..??

 यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।




आपको क्या लगता है...??
शायद सही ही लगता होगा क्योंकि हम बचपन से ही ये श्लोक सुनते आ रहे है..।।
और साथ ही पूरे विश्व मे,भारत ही एकमात्र देश है जंहा देवियों की पूजा होती है..।।
कितनी अच्छी बात है...
मगर खुद से पूछिए...
क्या हम अपने घर की देवियों का सम्मान करते है...??
अपनी माँ, दादी,चाची,भाभी,बहन,बीवी का सम्मान करते है...??
शायद ही हममें से कोई होगा जिसने कभी महिलाओं के साथ बदतमीजी नही की होगी..।।
इसकी शुरुआत घर से ही शुरू हो जाती है...

आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 30 वर्षों में महिलाओं के सम्मान में एक तरफ गिरावट आई है(वैश्वीकरण के कारण), तो एक तरफ सम्मान का भाव बढ़ा है(आर्थिक सम्पनता के कारण)...


मगर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा..
की WEF(वर्ड इकनोमिक फोरम,रिपोर्ट-2023) के अनुसार भारत मे लैंगिक असमानता 146 देशों में 127 वा है..

NFHS-5(नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे)-के अनुसार भारत मे घरेलू हिंसा का सामना 29.3% महिलाएं कर रही है।



वंही यूनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फण्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत मे 15-49 आयुवर्ग की 70% विवाहित महिलाये हिंसा की शिकार है..।।

इसका कारण क्या है..??
हमारी सोच..।।

आपने कभी सोचा है(पुरुष)..
जब आपके साथ कोई बुरा बरताव करता है, तो आपपर क्या बीतता है..??
आपके अंदर हिंसा,द्वेष,घृणा का भाव उत्पन्न होता है..

मगर जब महिलाओं के साथ बुरा बरताव होता है तो वो क्या करती है...??
पहले वो सहन करती है..फिर...
फिर वो सहन करती है...फिर..
फिर वो सहन करती है...
वो अंतिम क्षण तक सिर्फ और सिर्फ सहन करती है..
क्योंकि वो विरोध किस-किस का करें..
क्योंकि उसके चारों तरफ शोषण करने वाले ही है..
कोई लाड़-प्यार से कर रहा है,तो कोई शक्ति के बल पर कर रहा है..।।

मगर हम भूल जाते है कि महिला सृजनकर्ता है,
और जो सृजन कर सकता है,
वो विनाश भी कर सकता है..।।
महिलाओं को सम्मान करें न कि अपने और समाज के विनाश को न्योता दे..।।
कोई भी देश और समाज तबतक शक्तिशाली और समृद्ध नही हो सकता,जबतक वंहा की महिलाओं की स्थिति सुदृढ़ न हो..।।

अपने व्यवहार में बदलाव लाये..
आप महिलाओं के साथ उसी तरह से व्यवहार करें,
जिस तरह की व्यवहार की अपेक्षा आप महिलाओं से रखते है...।।