बुधवार, 17 जुलाई 2024

मनुष्य कितना स्वार्थी है..

आज रास्ते से गुजर रहा था,हरेक रोज ही उधर से गुजरता हूं, मगर आज उस जगह एक खालीपन,एक उदासी सी महसूस हुई..
अचानक सर् ऊपर किया तो पाया कि वो पेड़ अब नही है..
जिस पेड़ पे कल तक सुबह-सुबह तोता की टे-टे सुनाई देती थी वो अब नही सुनाई देगी..
क्योंकि किसी ने अपने आसियान को और बेहतर बनाने के लिए उन तोतों का आशियाना उजाड़ दिया..।



ऐसा हरेक रोज ही नही हरेक पल हो रहा है..
जिस तरह से मनुष्य अपने आशियाना को जिस तरह दिन-प्रतिदिन आलीशान बनाने की लालसा में लगा हुआ है,
वो दिन दूर नही जब इस पृथ्वी पर सिर्फ और सिर्फ मनुष्य ही होंगे..

आप आज से सिर्फ 10 साल पीछे जाइये..
आप जिन जीव जंतुओं को 10 साल पहले देखें थे,
क्या उसे अब भी आप देख पा रहे है..
शायद नही,या फिर उसकी तादाद बहुत कम हो गई है..।।

एक अलग ही प्रचलन चल पड़ा है हमारे समाज में,
हम अपने घर मे जानवर तो पाल रहें है,उसकी देखभाल भी संतति की तरह कर रहे है,मगर उसी प्रजाति के दूसरे जानवर से नफरत करते है..
हम घर मे बागबानी तो करते है,मगर बाहर के पेड़ पौधे से कोई लगाव नही है..
ये किस तरह का प्रकृति प्रेमी का हम ढोंग रच रहे है..।।

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