आसमां दिखता है..
यंहा तो बहुत बड़ी आबादी को, खिड़कियों से सिर्फ खिड़कियां दिखती है..।।
आप पर सूर्य मेहरबान है कि आपके दरवाजे पे सूर्य की रोशनी दस्तक देती है..
शहरों की घनी बस्तियों में दिन में भी रात का अहसास होता है..।।
आप की खुदक़िस्मती है कि सरेराह यू ही अकेले चले जा रहे है..
शहरों में तो एक के ऊपर एक चले जा रहे है..।।
आप की कोई आकांक्षा नही है,क्योंकि आप प्रकृति से जुड़े हुए है..
इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में प्रकृति के जुड़ाव को भरने के लिए..
हम क्या से क्या किये जा रहे है..।।
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