मंगलवार, 9 जुलाई 2024

माँ

मन करता है..
माँ से बात करूं…
फिर ये सोचता हूँ कि..
क्या बात करूं..
क्योंकि बात करने को कुछ है ही नही..।।

फिर सोचता हूँ कि हालचाल के लिए ही..
माँ से बात करूँ..
सच कहूं तो ये ख्याल आता ही नही..।।

कितना निष्ठुर हूँ मैं..
सच कहूं तो निष्ठुर नही..
संवेदना विहीन हो गया हूँ मैं..
या फिर और कुछ..
(ये लेखनी खत्म भी नही हुईं थी कि माँ का फ़ोन आ गया)

मैं जितनी दफा माँ तुम्हें याद करता हूँ,
तुम्हारा कॉल हर दफा आ जाता है..
मैं ही नकारा हूँ..
जो तुम्हारे याद करने पर भी कॉल नही कर पाता हूँ।।



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