और सड़कों, बसों,मेट्रो,ट्रेनों के भीड़ में चेहरे को देखने की कोशिश कीजिये..
आपको अधिकतर चेहरे पे उदासी,मायूसी,परेशानी के सिवा और कुछ नही दिखेगा..
क्यों..??
कभी आपने सोचा है..??
नही...
क्योंकि हम भी उसी भीड़ के हिस्से है,या होनेवाले है..।
इस उदासी का एक ही कारण है..कि
हम अपने उस अतीत को ढोते है,जिसे हम बदल नही सकते..
और हम उस भविष्य के लिए चिंतित है,जो हमारे हाथ में है ही नही..।।
क्या इस उदासी से छुटकारा पाया जा सकता है..??
अवश्य ही पाया जा सकता है..
इसके लिए हमें वर्तमान में जीना होगा..
हमें हरेक कार्य आज के लिए ही करना है न कि भविष्य के लिए और न ही अपने अतीत को बेहतर करने के लिए..।।
न अतीत में और न ही भविष्य में हम कुछ बदलाव कर सकते है,
अगर कर सकते है तो वो हम अपने वर्तमान में ही कर सकते है..।।
अगर हम हरेक पल वर्तमान में रहना सीख ले तो चेहरे पे उदासी के जगह मुस्कान स्वयं ही आ जायेगी..
और चेहरे पे मुस्कान आते ही हमारा अतीत और भविष्य दोनों ही सुनहरा हो जाएगा..।।
जिस अतीत को हम कोसते थे,जिसके लिए अफसोस करते थे उसका शुक्रियदा करेंगे,और भविष्य का स्वागत करेंगे..
अगर हम हरेक क्षण वर्तमान में जीना सीख ले..।।
आखिर वर्तमान में कैसे जिये..??
इतना आसान थोड़े ही है,वर्तमान में जीना..
आप शुरुआत अभी से कर सकते है..
अभी क्या करना है,आज क्या करना है..
उसे पूरी तलीनता से करें..
🙏bahut badhiya
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