शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मैं थक गया हूँ..

मैं थक गया हूँ..
जबकि अभी तक सही दिशा में चला नही हूँ..
आधी उम्र यू ही सबके नजर से छिपी हुई गंदगियों में बिताया..
लोगों को लग रहा था कि मैं आगे बढ़ रहा हूँ..
मगर सच तो ये है कि उस गंदगियों का आदी हो गया था,
जब उस गंदगी से निकला तबतक सब कुछ खो चुका था..।।
जिस उम्र में लोग सफलता के ऊंचाइयों पे होते है,
मैं उस उम्र में,
एक सफलता के लिए लालायित हूँ..।।


अब वो कुछ कर नही सकता...
जो मैंने सोचा था..।
मगर ऐसा भी नही है कि,
मैं कुछ कर नही सकता..।
अभी भी बहुत कुछ कर सकता हूँ..
जो मैंने सोचा था..
यंहा तक कि उस से भी ज्यादा कर सकता हूँ..
क्योंकि अभी भी मेरे पास कुछ वक्त और उम्र बचे है..
कुछ करने को,खुद को बदलने को..
और खुद के ही नजर मैं गौरवान्वित महसूस करने को..।।

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