शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

भीड़ में..

भीड़ में अच्छा होना आसान है..
अकेले में अच्छा बने रहना मुश्किल है..।
भीड़ में हर रंग....रंग जाता है,
अकेले में हर रंग दिख जाता है..।
भीड़ में हर शब्द कोलाहल बन जाता है..
अकेले में हर शब्द स्पष्ट हो जाता है..।।
भीड़ में हर पहचान छुप जाती है.
अकेले में स्वयं से साक्षात्कार हो सकता है.।
भीड़ में हम कंही खो सकते है..
अकेले में अपनी पहचान बना सकते है..।
मगर..??
भीड़ में अच्छा होना आसान है..
अकेले में अच्छा बना रहना मुश्किल है..।।


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