मैंने भगवान से कहा-हे भगवान सदमार्ग पे ले चलो..
भगवान जी ने कहा- पहले कुमार्ग तो छोड़ो..।
क्या भगवान के कृपा के बिना आप कुमार्ग छोड़ सकते है..??
शायद बिल्कुल नही..।
मैंने बहुत प्रयास किया..न जाने कितनों के कसम खाये और तोड़े..अंत में,मैंने प्रयास करना ही छोड़ दिया..।
मगर अंतस मन से भगवान को कहा करता था..
हे भगवान इस दलदल से निकाले..।
मेरा आवाज उन तक पहुंचा,और मैं इतना बीमार हो गया कि मुझमें खड़े होने का हिम्मत तक नही था..ये सिलसिला 1 सप्ताह से ज्यादा तक रहा..सारा दिन बिछावन पर ही लेटा रहता..।
भगवान के कृपा से आज मैं स्वस्थ हूँ..और उस दलदल से निकल चुका हूं..।
हां कभी-कभी वो दलदल मुझे अपनी तरफ खिंचता है,मैं उधर बढ़ भी जाता हूँ,मगर फिर भगवान उधर से खींच कर सदमार्ग पे ले आते है..।।
"भगवान कृपा करते है,उनपे विश्वास रखें..
हां हमारी आवाज ही देर से पहुंचती है,
शायद इसलिए कृपा होने में देर लग जाती है।।"
शोध का विषय ये है कि- किस तरह की आवाज भगवान तक पहुंचता है🤔..??
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