15 साल की उम्र में अपने माता को पत्र लिखता है-
"क्या हमारे देश की हालत बद-से-बदतर ही होती जाएगी, क्या भारत माता का कोई लाल अपने हितों को छोड़कर अपना पूरा जीवन माँ के प्रति समर्पित नही करेगा..??"
ये पत्र लिखने के बाद कुछ समय के बाद ही वो स्वंतंत्रता सेनानी हो गए... जिनके देशभक्ति को गांधीजी ने सर्वोत्तम बताया..
वो व्यक्ति नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे..
इनके पिता ने बड़े प्यार से इनका नाम सुभाष रखा जिसका मतलब अच्छा बोलने वाला होता है...उनके पिता ने कल्पना नही की होगी कि वह अपने भाषण क्षमता का इस्तेमाल वे लोगो मे क्रांतिकारिता का जोश भरने के लिए करेंगे..
1940 में 11वी बार गिरफ्तार करके बोस को कलकत्ता के प्रेसिडेंसी जेल में डाल दिया वंहा तबियत अस्वस्थ होने के बाद उन्हें घर मे ही नजरबंद कर दिया गया..
17 जनुअरी 1941 को आधी रात को बीसवीं सदी की सबसे बड़ी साहसिक राजनीतिक पलायन किया..जबतक अंग्रेज़ को पता चला तबतक वो काबुल जाने के लिए पेशावर पहुंच गए..फिर वो मास्को गए वंहा से बर्लिन पहुंच गए..
"अगर किसी राष्ट्र के पास सैन्य ताकत नही है,तो वह अपनी आजादी को बचाने की उम्मीद नही रख सकता ।"
जर्मनी से वो फिर जापान पहुँचे और वंहा 'आज़ाद हिंद फौज' के नेता बन गए..इनके फ़ौज में ~50 हजार फ़ौज थे..
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सभी नेताओं को जब गिरफ्तार कर लिया गया था,तब आजाद हिंद फौज अपने चरम पर था..वो भारत के पूर्वी क्षेत्र में घुसने में कामयाब रही.
मगर तबतक जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया..कुछ महीनों के बाद बोस रुस के लिए निकले..ताइपे में ईंधन भराने के बाद ज्योहीं प्लैन हवा में उड़ा , आग लग गई..जिसका कोई साक्ष्य नही है..
मगर बोस कंहा गए पता नही चला..
इस घटना पे जॉर्ज ऑरवेल कहते है- दुनिया के लिए ये अच्छा हुआ।
इसके लिए 3 आधिकारिक आयोग बने,आखरी आयोग 2006
में बना जिसमे मान लिया गया कि उनकी मृत्यु 1945 में ही हो गया था..।।
भारत के बाहर उन्हें जो प्रतिष्ठा मिली थी.. उनके मृत्यु के बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका असर बना रहा..
1921 में अपने भाई शरत को पत्र में लिखा था-
"जिंदगी में कोई संघर्ष न हो,
तो उसका आधा मजा चला जाता है ।"
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