गुरुवार, 30 जनवरी 2025

कीचड़,कमल और हम..

एक प्रश्न पूछता हूँ..
-भगवान का सबसे प्रिय पुष्प कौन है..?
-आध्यात्मिक रूप से सबसे ज्यादा महत्व किस फूल का है..?
शायद आपको जबाब मिल गया होगा..
चाहे कोई भी धर्म हो,
हरेक धर्म मे कमल फूल की प्रासंगिकता है...आखिर क्यों..

कमल पवित्रता,सादगी और ओज का प्रतीक है...
चाहे कीचड़ कितना भी क्यों न हो कमल अपने ऊपर कीचड़ के छींटे तक को आने नही देता जबकि उसका जड़ और डंठल कीचड़ में ही रहता है..उसमें जो सुंगध होता है,वो प्रकृति की सुंगंध होती है..उसका ओज हमेशा प्रतिबिंबित होता रहता है,दिन में सूर्य की रोशनी से तो रात में चाँद और तारे की रोशनी से..।


हम मनुष्य भी कमल के समान ही है..
हमारे नाभि से नीचे का हिस्सा जड़ है जो कीचड़ में सना हुआ है..
हमारा रीढ़ कमल के हिस्से के समान है.. और उसपर कमल पुष्प रूपी हमारा मस्तिष्क आसीन है..।
मगर कमल पुष्प रूपी अधिकांश मस्तिष्क खिल नही पाते...आखिर क्यों...??

वर्तमान समय में हमारा पूरा शरीर कीचड़ से लथपथ हो गया है..
मष्तिष्क रूपी पुष्प को खिलने का मौका ही नही मिल रहा है..
क्योंकि हमारे आसपास सिर्फ और सिर्फ कीचड़ ही है..
सुबह से शाम तक हम कीचड़ में ही सने रहते है..
अब तो हम इस कीचड़ के इतने आदि हो गए है कि हमें अहसास तक नही होता कि हम कीचड़ में सने हुए है..।

हम किस तरह के कीचड़ से सने हुए है..
आज हमने दिनचर्या से लेकर खान-पान तक सब को कीचड़ से लथपथ कर दिया है..
आज हम ऐसे-ऐसे चीज खा-पी रहे है जो खाने योग्य नही है,इसका असर हमारे पूरे शरीर पर विपरीत रूप में होता है..
इन्हें खाने-पीने से मष्तिष्क से निचला भाग बहुत ज्यादा ही विकसित हो जाता है जिस कारण अनेक समस्या होती है वंही मष्तिष्क अविकसित होने लगता है,वर्तमान में तो इसका गति और बढ़ गया है इसका प्रमुख कारण स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना है..जिससे हमारा मस्तिष्क इतना दूषित हो रहा है..की हमें अब इसके दूषित होने का आभास ही नही हो रहा है क्योंकि हमारे आसपास दूषित मस्तिष्क की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है..।।

क्या इससे छुटकारा पाया जा सकता है..??
जी हां,बिल्कुल..
आपने कमल के फूल को देखा होगा उसपे कभी भी धूल नही जमती..और वो कभी गंदा नही होता..।
क्यों..??
क्योंकि कमल के फूल ने अपने अंदर वो बदलाव लाया है,जिससे वो गंदगी को अपने ऊपर जमने नही देती..
भले ही वो कीचड़ कितना भी उर्वर क्यों न हो कमल का जड़ जरूरत के अनुरूप ही उससे उर्वरक लेता है,उसमें डूब नही जाता..भले ही पानी का कितना स्वच्छ धारा क्यों न बहे वो उसके साथ नही बहता..
इसी तरह हम मनुष्य को भी इस भोगवादी दुनिया में डुबना नही बल्कि उसका जरूरत के रूप में इस्तेमाल कर अपने मस्तिष्क का विकास करना चाहिए..।

ये कैसे संभव होगा..??
उस कमल के फूल की तरह ही एक स्थान पर अडिग रहकर ...
एक आसन लगाए और बैठिये और ध्यान कीजिये..
अगर आप लगातर ध्यान करते रहेंगे तो उस कमल के पुष्प के समान ही आपके अंदर भी पवित्रता,सादगी और ओज आ जायेगा..।।

ध्यान कैसे करें..
बस रीढ़ की हड्डी को सीधे करके आंख बंदकर बैठ जाये..और कुछ नही करना है..
ध्यान में जाना नही होता,ध्यान खुद आता है..मगर पहल,पहले आपको करना होगा..।

ध्यान कितना देर तक करें..
आपकी जितनी उम्र है..उतना मिनेट तो करना ही चाहिए..।।


एक प्रश्न फिर पूछता हूँ..??
क्या कमल की पंखुड़ियां झड़ती है..




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