हमने 11 जनुअरी को लालबहादुर शास्त्री जी की 59 वी पुण्यतिथि मनाई है,अगर वो राजनीतिक भेंट नही चढ़ते तो शायद हम इसदिन को उनके पुण्यतिथि के रूप में नही मनाते..।
लालबहादुर शास्त्री जी ने ताशकंद समझौता के बाद अंतिम फोन अपनी पत्नी को किया,
पत्नी ने कहा -ये आपने क्या कर दिया..
शास्त्री जी ने कहा जब तुम ऐसा कह रही हो,तो देश क्या कह रहा होगा..
मगर मैं एक खुशखबरी ला रहा हूँ,जिसे सुनकर तुम खुश हो जाओगी..
मगर उनके मृत्यु के साथ ही ये खुशखबरी भी खत्म हो गई..।
ताशकंद में अम्बेसडर T.N कौल थे,(जो इंद्रा गांधी के रिश्तेदार था) और उनके कुक मोहम्मद जॉन(सरकारी कुक) था,जिसने शास्त्री जी को पीने के लिए दूध दिया था।मोहम्मद जॉन रिटायरमेंट के बाद पाकिस्तान चला गया, और भारत से उसे पेंसन मिलता रहा.. ।और T.N कौल को फॉरेन सिकरेट्री बना दिया गया।।
1965 के युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई मगर उससे ज्यादा बेइज्जती अमेरिका का हुआ,क्योंकि उसके सेबर जेट,और पेटेन्ट टैंक जो दुनिया की सबसे ज्यादा ताकतवर हथियार माना जाता था,उसे हमारे केनबरा और नेट ने उसके हथियार को ऐसी-तैसी कर दिया था..।।
सरकार के अनुसार शास्त्री जी की मृत्यु heart attack से हुई थी,मगर उनके परिवार के अनुसार उनकी मृत्यु जहर से हुई..।उनका शरीर नीला हो गया,और फुल गया था,जो जहर के कारण ऐसा होता है।
कांग्रेस के नेता महावीर प्रसाद भार्गव ने संसद में कहा कि रूसी सरकार ने पोस्टमार्टम के लिए कहा था मगर हमने मना कर दिया..उस समय के गृह मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई बात नही हुआ था..।
1990 के दशक में L.P singh अपनी किताब लिखते है जो उस समय के गृह सचिव थे,जिन्होंने अपनी किताब में इस बात को लिखा कि रूसी सरकार ने पोस्टमार्टम के लिए कहा,और हमलोगों ने मना कर दिया था।
शास्त्री जी के ताशकंद यात्रा से पहले एक IB अधिकारी ताशकंद गया था और उसने अपने रिपोर्ट में कहा कि यंहा रहने की व्यवस्था अच्छा नही है,जिस कारण उसे वंहा से हटा दिया गया।
शास्त्री जी के डॉक्टर, डॉ चुक की मृत्यु चण्डीगढ़ जाते हुए ट्रक से एक्सीडेंट हो गया जिसमें सिर्फ एक बच्चा बचा(लड़की) बाकी सब मर गया,उस ट्रक का कोई पता नही चला।वंही शास्त्री जी के पर्सनल अटेंडेंट रामनाथ की भी मृत्यु इसी तरह से हुई,क्योंकि इन दोनों ने शास्त्रीजी की मृत्यु के ऊपर आवाज उठाई थी..।
1990 के दशक में सोवियत रसिया टूटनी शुरू हो गई जिससे पुरानी बातें सामने आने लगी,भारत मे रशियन एम्बेसी से एक मैगज़ीन आया करती थी जिसका नाम "सोवियत लैंड" था।1991 में एक आर्टिकल छपती है जिसे लिखने वाला KGB का फॉर्मर अफसर था,जिसने लिखा कि शास्त्री के पूरे कमरे को हमने टेप किया था(हरेक सरकार करती है),जब शास्त्री को सीजर आया तो हमें लगा कि कोई गड़बड़ है,मगर इसकी बात कोई नही कर रहा है,हमने उस समय इसलिये नही बताया कि भारत को लगता कि हम टेप कर रहे है।मगर भारत सरकार ने रसिया से शास्त्री जी के अंतिम समय के टेप नही मांगी..।
शास्त्री जी की मृत्यु के पीछे कभी अमेरिका, कभी रसिया तो कभी अंदरूनी हाथ बताया जाता है..।
अमेरिका के साथ शास्त्री जी के संबंध अच्छे थे क्योंकि वो ताशकंद जाने से पहले अमेरिकन राष्ट्रपति से बात करके गए थे,और अमेरिका भी चाह रहा था कि ये संधि हो जाये...हाल ही में ढेर सारे अमेरिकन रिकॉर्ड सामने आए है,मगर शास्त्रीजी से जुड़े हुए एक भी साक्ष्य नही मिले..
जंहा तक रसियन की बात है,उसने भारत सरकार से शास्त्री जी की पोस्टमार्टम करने की अनुमति मांगी ,मगर नही दिया गया, KGB ने हरेक कुक को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की...एक रसियन कुक ने कहा कि मोहम्मद जॉन ही आखरी समय शास्त्री जी को दूध दिया...भारत सरकार ने उसके ऊपर कुछ नही किया..।।
जंहा तक भारत सरकार की बात है तो उस समय के अम्बेसडर TN कौल तथ्यों को तोड़ मरोड़कर पेश किया..सच सामने नही आने दिया गया...और TN कौल की प्रोन्नति होती रही...।
वो खुशखबरी क्या थी जो शास्त्री जी अपनी पत्नी को सुनाने वाले थे-
"कुछ इतिहासकार का कहना है कि शास्त्री जी ताशकंद समझौता पे हस्ताक्षर करने के लिए इस लिए राजी हुए की,उन्होंने शर्त रखा कि उन्हें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से मिलाया जाए, रसिया राजी हो गया और उन्हें साइबेरिया ले जाया गया और वंहा पे वो नेताजी से मुलाकात किया,और उसी रात ताशकंद समझौता पे हस्ताक्षर करने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।।
मालूम नही सच क्या है...।।"
शास्त्रीजी की मृत्यु राजनीतिक भेंट चढ़ गई..आज तक सरकार ने कोई भी रिकॉर्ड लोगों के सामने नही लाया.जिससे सच का पता चल सके..
जिसने हमें-"जय जवान,जय किसान" का नारा दिया...वो घटिया राजनीति के भेंट चढ़ गया...।
मगर कभी न कभी सच तो सामने आएगा..।।
अनुज धर ने शास्त्री जी पर ढेर सारे रिसर्च किये जिसपे "द ताशकंद फाइल्स" नामक फ़िल्म( https://youtu.be/ikblK9gzKxA?si=WbagNxTcDtFo5TSo ) आई थी,और उन्होंने बुक भी लिखा..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें