रविवार, 16 फ़रवरी 2025

महाकुंभ और आम-आदमी...

"अगर आप आम आदमी है,तो आपकी औकात कीड़े-मकोड़ों की है,जिसकी जान की कोई कीमत नही है.."।

"कुंभ" मतलब घड़ा होता है..
उपनिषद के अनुसार - "इस घड़ा रूपी शरीर का मंथन कर अपने अंदर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर उच्चतर अवस्था मे पहुंचना है,इस और अग्रसर होने पर ढेर सारे मायावी चीज आपके पास आएंगी जो आपको समृद्ध करेगा,मगर हमारा लक्ष्य उस अमृत का पान करने का होना चाहिए"।


हम आम इंसान उतने जागरूक नही है, जिस कारण हम उस ऊर्जा की अनुभूति प्राप्त करने के लिए,नदियों के किनारे परम लक्ष्य प्राप्त साधुओं के दर्शन और गंगा,क्षिप्रा और गोदावरी में डुबकी लगाकर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए जाते है..।।

इस बार भी करोड़ों आम लोग गए...
मगर क्या हुआ..??
इस बार कुछ लोगों को अपने परिवार को खोना पड़ा..
क्यों..??
जब आध्यत्म का उद्देश्य दिखावा,बाजारीकरण और राजनीतिक रूप में परिवर्तित होने लगेगा तो यही होगा..।।

मौनी अमावस्या के रोज हुआ दुर्घटना को हम भूल भी जाये..
मगर कल जो नई दिल्ली में हुआ इसके लिए कौन जिम्मेदार है..??


क्या वो आम आदमी जो कुंभ स्नान करने के लिए जा रहा था,या सरकार और रेलवे की लापरवाही..??
सरकार कहती है-"भीड़ ज्यादा हो गया.." 

क्या सरकार को पता नही था कि भीड़ बढ़ेगी..क्योंकि सारी मीडिया रिपोर्ट लगातार कह रही थी कि दिन प्रतिदिन भीड़ बढ़ेगी...।।

मौनी अमावस्या के रोज हुई दुर्घटना में कितने लोग मरे इसके आंकड़े सरकार ने अभी तक जारी नही किये..
मरने वालों के परिजन अब भी अपने परिजन को ढूंढ रहे है,सरकार टेक्नोलॉजी, ड्रोन और AI की बात कर रही है..क्या ये सब सिर्फ पैसों वालों के लिए ही है..

आपको जानकर हैरानी होगी कि अबतक 500 से ज्यादा प्राइवेट जेट प्रयागराज हवाई अड्डे पे उत्तर चुके है..पूरा एयरपोर्ट प्राइवेट जेट से अटा पड़ा है..क्या ये सारी सुविधाएं VIP लोगों के लिए ही है..
मौनी अमावस्या के भगदड़ के 2 दिन बाद ही VIP लोगों की एंट्री शुरू हो गई..क्योंकि उन लोगों को असुविधा न हो..
सरकार को VIP लोगों की चिंता थी मगर उन परिजनों की चिंता नही थी जो अपने लोगों को अभी भी ढूंढते फिर रहे है..।।



अगर आप भगदड़ को गूगल पे सर्च करें तो आपको एक अलग ही जानकारी मिलेगी..आपको ये जानकारी मिलेगी की इससे पहले कब-कब भगदड़ मचा था..
सरकार ने किस तरह मीडिया और खबरों को मैनेज किया है ये सीखने की बात है..
"हमें भी अपनी नाकामियों को छुपाते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए"..
मगर फिर उसी तरह की घटना हो जाये तो हम क्या करें..
जो कल रात दिल्ली में हुआ...??
फिर से अपनी कमियों को छुपाते हुए पूरा ठिकरा उस भीड़ पे फोड़ देना चाहिए...।।

"लोकतंत्र" का मतलब होता है- लोगों का शासन..
मगर जिस लोकतंत्र में लोगों की कोई कीमत ही नही रह जाये उस लोकतंत्र का क्या होगा..??

सरकार यही कहना चाहती है कि इस घटना के लिए सरकार नही बल्कि भीड़ जिम्मेदार है..।।

अब आपको निर्णय करना है..भीड़ का हिस्सा बनना है,या फिर VIP बनकर मजे लेना है..।।

मुझ जैसे करोडों लोग कुंभ में डुबकी लगाने से वंचित रह गए, क्योंकि हमें जाने की सुविधा ही नही मिली..ट्रैन पूरा फुल था,यातायात की सुविधा नही थी..।
माफ कीजियेगा में यंहा झूठ बोल रहा हूँ..वास्तविकता ये है कि मेरे पास उतने पैसे नही थे कि मैं प्राइवेट जेट की सवारी कर सकू...और न ही मेरी राजनीतिक पहुंच उतनी थी कि उनसे कोई सुविधा ले सकू..।।

ऐसा नही है कि भगदड़ पहली बार मचा है,कांग्रेस के शाशन काल मे भी भगदड़ मचा था...।।
क्या अंग्रेज के काल मे भगदड़ मचा था..??
क्या मुगल काल मे भगदड़ मचा था..??
सरकार को इसपे शोध करना चाहिए..।।

अध्यात्म का जब-जब बाजारीकरण होगा तब-तब यही होगा..।
जब हमारा ध्यान अध्यात्म के आड़ में बाजारीकरण को बढ़ावा देने पे होगा तो ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए पूर्णतया तैयार भी होना होगा..।।
(बाजारीकरण बुरा नही है,आज हमारी जिंदगी जितनी आसान है,उसमें बाजारीकरण का अहम योगदान है..मगर उसका एक दूसरा पहलू भी है,जिसे हम उजागर तो नहीं करते मगर समय-समय पे खुद-ब-खुद उजागर हो जाता है)


फिर से हमें अपने उपनिषदों की और लौटना होगा...
उसका अध्यन कर अपने शरीर रूपी कुंभ का मंथन करना होगा..उसके मंथन से जो अमृत निकलेगा उसका पान करना होगा..।
ये कार्य बहुत दुष्कर है,इससे आसान तो कुंभ में स्नान कर पाप से मुक्त हो जाना है..।।






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