गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

तुम कौन होते हो..

तुम कौन होते हो..
किसी को...
बुरा कहने वाले..।
किसी को बुरा कहने से पहले 
क्या तुमने झांका अपने अंदर..
तुम खुद बुरे हो..
इतने बुरे हो..
की अपनी बुराइयों का तुम्हें पता ही नही है..।
तुम कौन होते हो..
किसी को..
बुरा कहने वाले..।



आईने में झांको एक बार..
खुद से नजरें मिला सको तो मिलाओ एकबार..
माथे पे खिंचती लकीरों को पहचानों एक बार..
अंदर से उठ रहें आवाजों को सुनने की कोशिश तो करो एक बार..
अपनी बुराइयों का लेखा-जोखा करने का हिम्मत तो उठाओ एकबार..
तुम कौन होते हो..
किसी को..
बुरा कहने वाले..।

अपनी बुराइयां किसे दिखती है..
अगर दिख जाएं..तो
अपनी बुराइयों को अच्छाइयों में तब्दील करने में रत हो जाते है
इतनी हिम्मत कंहा है,किसी मैं..
जो अपनी बुराइयों को स्वीकारा कर ले..
अगर अपनी बुराइयों को जो स्वीकार कर ले..
तो अच्छाइयों की और कदम यू ही बढ़ने लगते है..।
मगर हिम्मत कंहा है, अब किसी मैं..
अपनी बुराइयों को स्वीकार करने का..।।

तुम कौन होते हो..
किसी को..
बुरा कहने वाले..।।

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