फर्क बस इतना है कि सांसे चल रही है..
सच में,
मैं मर चुका हूं..
बस ये हांड-मांस का शरीर जिंदा है..
मैं मर चुका हूं..
मैंने स्वयं ही,
स्वयं को मारा है..
और अब जो ये हांड-मांस बचा हुआ है,
उसे भी खोखला कर रहा हूँ..
मैं मर चुका हूं..
मैं हर रात,अगली सुबह जिंदा होने का सोचता हूँ..
मगर मैं, दिन चढ़ते ही धराशायी हो जाता हूँ..
सच में, मैं मर चुका हूं..
सिर्फ सांसे चल रही है,और ये हांड-मांस काम कर रही है..
इन सांसों में अभी भी ऊर्जा भरी जा सकती है..
इस हांड-मांस को फिर से नए कीर्तिमान रचने के लिए उपयोग किया जा सकता है..
क्योंकि सांसें यू ही नही चल रही है,
और ये हांड-मांस अब तक यू ही साथ नही दे रहा है..
कुछ तो वजह है..
की सांसे अब भी चल रही है..
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