और आपस मे बात कर रही थी कि इस स्कार्फ के कारण मेरा सर दुखने लगता है..मम्मी को बोलती हूं तो मुझे ही डांटने लगती है..
तुम्हें मैं,क्या बताऊँ..मेरी अम्मी मेरी सुनती ही नही है..
जब मैं, ये सुना तो मैं सोचने को विवश हो गया..
वो छोटी-छोटी,प्यारी -प्यारी मासूम बच्चियों को स्कार्फ़ से सिर और नाक तक ढक दिया जाता है...
आखिर क्यों..??
सोचता हूँ...
लड़की होना अभिशाप है..
अगर किसी मुस्लिम परिवार में जन्म हुआ तो ये अभिशाप थोड़ा और बढ़ जाता है..
अगर किसी मुस्लिम देश मे जन्म हो गया तो ये अभिशाप और भी बढ़ जाता है..।।
अगर लड़की/महिलाओं की स्थिति सबसे ज्यादा कंही दयनीय है तो वो मुस्लिम समुदाय के मध्यम वर्ग में सर्वाधिक है..।।
इस्लाम ने महिलाओं को जितनी आजादी दी थी,इस्लाम के पैरोकारों ने उतना ही महिलाओं का शोषण करना शुरू कर दिया..।।
काश वो छोटी बच्ची मुस्लिम घर मे ना पैदा होकर किसी और परिवार में जन्म ले लेती तो उसे स्कार्फ के कारण सर दर्द का सामना नही करना पड़ता..।।
हमें लगता है तकलीफ सिर्फ हमारे ही जिंदगी में है..
यंहा कौन है...??
जिसके जिंदगी में तकलीफ नही है...
कुछ खुशगवार है,जिन्हें अपने तक़लिफों का कारण पता है,
और उसे दूर करने में लगे है..
कुछ बदकिस्मती है,जिन्हें अपने तक़लिफों का कारण ही नही पता है..
जो उसे दूर कर सके..
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