गुरुवार, 19 सितंबर 2024

प्यार की पांति..

तुम अभी भी मेरी जेहन में हो..
तुम्हारा अक्स सहसा किसी चेहरा में ग़र दिख जाता है..
तो तुम याद आ जाती हो..
तुम सिर्फ याद ही नही बल्कि..
मुझे अपनी असफलताओं को याद दिला के चली जाती हो..

मालूम नही तुम कंहा हो..
आशा करता हूँ..
जंहा भी हो तुम...
खुश रहो..

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