आपने अक्सरहाँ सुना होगा.."भारत सोने की चिड़िया था"कभी सोचा है क्यों..?
इसके अनेक कारण है,मगर इन अनेक कारणों का एक कारण भारत की भोगौलिक स्थिति है..
जिस कारण भारत मे विभिन्न संस्कृति-सभ्यता,भाषा,रहन-सहन,और आर्थिक विकास हुआ..।।
गंगा-सिंधु का उपजाऊ मैदान और मालाबार,कोरोमंडल तट ने भारत को समृद्ध ही नही बल्कि सोने की चिड़िया बनाया..।इन क्षेत्र ने भारत को इतना समृद्ध बनाया की, भारत में कई देशों से धन आना शुरू हो गया..आज जैसे अमेरिका आर्थिक रूप से केंद्र में है,उसी तरह एक समय भारत केंद्र में था..।
आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत का पतन होना शुरू हो गया..??.
●भारत की पतन की शुरुआत की नींव 1600 में ब्रिटेन में,ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना से शुरू होता है..इस कंपनी का पहला जहाज 1608 में सूरत में पहुंचता है..और मुगल शाशकों से टैक्स में छूट प्राप्त कर मशालों और कपड़ो का व्यापार शुरू करते है..
(जैसे आज हरेक घर मे चीनी समान है, उसी तरह उस समय यूरोप के अधिकांश घरों में भारत के मशालें और कपड़े हुआ करता था।)
● औरंगजेब के मृत्यु के बाद कोई मजबूत मुगल शासक नही हुआ जिस कारण मुग़ल साम्राज्य बिखर गया और कई सूबा अलग होकर खुद को स्वतंत्र मानने लगा..जिसका फायदा अंग्रेज कंपनी ने उठाया..उसे अपना संरक्षण देकर..।।
●प्लासी की लड़ाई(1757) और बक्सर की लड़ाई(1764) में अंग्रेजों की जीत और पानीपत की लड़ाई(1761) में मराठों की हार ने भारत को पूर्णतया कंपनी के अधीन बना दिया..।
अंग्रेज के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत..??
●अंग्रेज के खिलाफ प्रथम विद्रोह जनजाति लोगों ने करना शुरू किया..
मगर संगठित होकर पहला विद्रोह 1857 में किया गया..जिसने ब्रिटेन की जड़े को हिला दिया..अगर राजवाड़े लोग अंग्रेज का सहयोग नही करते तो भारत को उसी समय ब्रिटेन से मुक्त कर दिया जाता..।(मगर उस समय इन रजवाड़ो का अंग्रेज को सहयोग करने का अपना कारण था)
● ब्रिटिश सरकार तक अपनी बात पहुँचाने के लिए 1885 में कांग्रेस का गठन किया गया..।
पहली बार डोमिनियन स्टेट की डिमांड..
भारत के प्रमुख नेताओं ने प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजो का बहुत सहयोग किया..यंहा तक कि भारत से 15 लाख सैनिक प्रथम विश्वयुद्ध में लड़े और लगभग 1 लाख की मृत्यु हो गई..
कांग्रेस ने इस सहयोग के बदले 1917 में पहली बार डोमिनियन स्टेट की मांग की..मगर बदले में जलियावाला नरसंहार किया गया..।
कांग्रेस ने दूसरी बार नेहरू रिपोर्ट(1928) के माध्यम से डोमिनियन स्टेट की मांग की मगर इसका विरोध ब्रिटेन सहित कनाडा,ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ्रीका के गोरी चमड़ी वाले नेताओं ने किया..।।
(डोमिनियन स्टेट-ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत ही एक देश जिसकी अपनी सरकार हो..)
●पहली बार पूर्ण स्वतंत्रता की मांग..
नेहरू रिपोर्ट को ठुकरा देने के बाद जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा नेताओ ने 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की..
●दूसरा विश्वयुद्ध और डोमिनियन स्टेटस..
1939 से शुरू द्वितीय विश्वयुद्ध में ~23 लाख भारतीय सैनिक को ब्रिटेन की तरफ से युद्ध मे झोंक दिया गया..।
जब इसका विरोध भारत मे शुरू हुआ तो वंहा की सरकार ने कहा आप हमारा सहयोग करें युद्ध के बाद हम डोमिनियन स्टेट का दर्जा देंगें.. मगर भारतीयों ने मना कर दिया और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की...
इस पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल कहता है-
"सम्राट ने भारत मे ब्रिटिश साम्राज्य समाप्त करने के लिए मुझे PM नही बनाया है,भारत को छोड़ना साम्रज्य की हार होगा।"
दूसरे विश्वयुद्ध में ब्रिटेन कमजोर होता जा रहा था और उसके ऊपर अमेरिका का दबाव बढ़ता जा रहा था..।
इलियट रूजवेल्ट अपने किताब "as he saw it" में लिखते है-
फ्रेंकलिन रूजवेल्ट चर्चिल से कहते है- हिटलर और आपमें क्या फर्क है..?उसने यूरोप के एक हिस्से पे कब्जा किया है आपने दुनिया के एक चौथाई हिस्से पे कब्जा किया है..
चर्चिल- 1931 के वेस्टमिंस्टर कानून ने कनाडा,न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे उपनिवेशों को पहले ही आजादी दे दिया गया है..
रूजवेल्ट- ये काफी नही है,भारत को जितना जल्दी हो सके 5-10 साल में डोमिनियन का दर्जा दीजिये..
चर्चिल भारत का नाम सुनते ही गुर्राया और कहा- मिस्टर प्रेसिडेंट इंग्लैंड एक पल के लिए भी अपना पसंदीदा जगह नही गवाना चाहेगा,जंहा के व्यापार ने इंग्लैंड को महान बनाया ,वह इंग्लैंड के मंत्रियों के शर्तो के हिसाब से चलता रहेगा..।
रूजवेल्ट- भारत एक आधुनिक सरकार,अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा का अधिकार है,अगर आप हरेक साल उसकी सारी दौलत छीन लेंगे तो उसे ये सब कैसे मिलेगा..।।
●1946 का नोसैनिक विद्रोह...
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन आर्थिक रूप से बदहाल हो गया था,ऊपर से अमेरिका का दबाब और भारत मे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन हर कस्बा तक पहुंच गया था..।
साथ ही ब्रिटेन के 1945 के आम चुनाव में चर्चिल की कंजरवेटिव पार्टी की हार और एटली की लेबर पार्टी की जीत से बहुत कुछ बदलने वाला था..क्योंकि लेबर पार्टी के सरकार से ब्रिटिश साम्राज्य को संभालना मुश्किल था..और साथ ही एटली उदारवादी था..
एटली ने कहा था-"ब्रिटिश शासन भारत के लिए विदेशी है,इससे भारत मे सुधार नही हो सकता।"
•1946 का नोसैनिक विद्रोह ने अंग्रेज को मजबूर कर दिया.
मुम्बई में 11 यूनिट्स,20 हज़ार सैनिक,78 युद्धपोत 23 नेवी स्टेशन इस विद्रोह से जुड़ गया..
ब्रिटेन को समझ मे आ गया कि भारतीय सेना अब भरोसेमंद नही है..
● 15 अगस्त को आजादी क्यों...?
20 फरबरी 1947 को एटली ने कहा हम ब्रिटिश भारत को जून 1948 तक आजाद कर देंगे..।इसके लिए माउंटबेटन को भारत को अंतिम वायसराय बनाया गया..।
माउंटबेटन नेहरू,जिन्ना,पटेल और गांधी से मुलाकात की और 3 जून 1947 को माउंटबेटन प्लान पेश किया..जिसमे भारत पाकिस्तान की विभाजन की योजना थी..।।
4जून1947 को माउंटबेटन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते है..
तब एक सवाल आता है..सर् आपने सक्ता सौंपने की तारिख क्या चुनी है..??
माउंटबेटन सोचने लगते है,क्योंकि उन्होंने कोई तारीख नही चुनी होती है..
और कुछ देर सोचने के बाद वो कहते है- 15 अगस्त 1947
(15 अगस्त माउंटबेटन के लिए अहम दिन था क्योंकि इसी दिन उसके नेतृत्व में जापान ने आत्मसमर्पण किया था)
इस घटना को याद करते हुए माउंटबेटन कहते है-'मैं ठान चुका था कि मैं ये साबित कर दूंगा की सब मेरा ही किया धरा है।हालांकि अचानक से अपने मर्जी से घोसित तिथि के कारण लंदन तक विस्फोट हो गया था..।।
अब पता चला कि हम 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते है...।